नई दिल्ली: कभी ‘शाइनिंग इंडिया' के नाम पर एक सरकार ने सिर्फ विज्ञापन पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए थे? अब इंडिया शाइनिंग हुआ या नहीं, कहना मुश्किल है. लेकिन, मोदी सरकार ने कुछ उसी तर्ज पर ग्राम उदय से भारत उदय नाम का अभियान शुरू किया, जिसका वास्तव में न तो ग्राम उदय से और न भारत उदय से कोई लेना देना था. यह अभियान असल में सरकार के प्रचार...
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आदिवासी बच्चों के लिए खुले एकलव्य स्कूलों की स्थिति बदहाल, कई राज्यों में शुरू भी नहीं हुए
नई दिल्ली: सबका साथ, सबका विकास... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का ये मूलमंत्र रहा है. लेकिन, क्या सचमुच ऐसा हुआ? मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान विभिन्न योजनाओं का विश्लेषण किया जाए तो यही पता चलता है कि नारों के शोर में विकास कहीं गुम हो गया है. मसलन, इस एक खबर पर पहले नजर डालिए. इकोनॉमिक टाइम्स में 18 अप्रैल 2016 को प्रकाशित एक लेख में...
More »पीएम किसान योजना के तहत हज़ारों किसानों के खाते में डाले गए पैसे वापस लिए गए
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत किसानों को जारी की गई रकम में से करोड़ों रुपये उनके खातों से वापस ले लिए गए हैं. द वायर द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों में दायर किए गए सूचना का अधिकार आवेदन से इसका खुलासा हुआ है. लोकसभा चुनाव के लिए हो रहीं रैलियों में भाजपा इस योजना को अपनी बड़ी सफलता के रूप में प्रदर्शित...
More »विदेशी चंदा के रूप में नहीं मानी जायेगी NGO को अंतरराष्ट्रीय सौर संगठनों से मिलने वाली राशि
नयी दिल्ली : देश के स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) और अन्य निकायों को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन से मिलने वाले धन को विदेशी स्रोत से मिला धन नहीं माना जायेगा और न ही उसे विदेशी चंदा विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) से छूट मिलेगी. गृह मंत्रालय की ओर से इस बाबत जानकारी दी गयी है. मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन को अब एनजीओ तथा अन्य...
More »किसानों की मौत छिपाता और सैनिकों की मौत भुनाता दिखावटी राष्ट्रवाद- अनुराग मोदी
1965 में एक तरफ देश की सीमा पर पाकिस्तान के साथ युद्ध हो रहा था और दूसरी तरफ देश सूखे और अकाल के संकट से जूझ रहा था. ऐसे समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने नारा दिया था- ‘जय-जवान, जय-किसान.' आज पहले से ज्यादा किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है- कुछ नहीं बदला, बल्कि इतने बुरे हालात कभी नहीं रहे. सरकार की नीतियों ने उनकी समस्या और बढ़ा...
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