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पेटा विवाद निराधार : भारत में दूध उत्पादन और पशु कल्याण हैं एक दूसरे के पर्याय

-रूरल वॉइस, पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) ने सुझाव दिया है कि गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) यानी अमूल को प्लांट बेस्ड डेयरी (पौधों से तैयार होने वाला दूध) डेयरी चलानी चाहिए । पेटा के इस सुझाव के बाद पेटा और अमूल के बीच एक विवाद छिड़ गया। जाहिर सी बात है पेटा का जो सुझाव है उसका भारतीय संदर्भ में कोई अर्थ नहीं है और यह बेतुका...

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किसान सस्ते और उपभोक्ता महंगे दामों से परेशान, कैसे बढ़ रहे दाम?

-डाउन टू अर्थ, हरिओम मीणा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 13 किमी दूर भैरोंपुर गांव के किसान हैं। उन्होंने तीन एकड़ खेत में टमाटर, ककड़ी और मिर्ची लगाई है। फसल अच्छी लगी है, लेकिन समस्या यह है कि वह उसे बेच नहीं पा रहे हैं। कोविड लॉकडाउन के कारण मंडी बंद हैं। हालत यह है कि टमाटर खेत में ही खराब हो रहा है, दूसरी ओर भोपाल के बाजार में...

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जिस कंपनीराज के खिलाफ हमारे पुरखे लड़े थे, वही मोदी सरकार देश पर फिर थोपना चाहती है!

-जनपथ, कल 26 मई को किसान आंदोलन के 6 माह पूरे होने के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर विरोध दिवस (काला दिवस) मनाया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा देश के हर किसान तक आंदोलन के मुद्दों को पंहुचाने के लिए 21 मई से 26 मई तक फेसबुक लाइव किया जा रहा है। फेसबुक लाइव के आज पांचवें दिन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य...

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मंडी, मार्केट और मोदी

-कारवां, अगर हम नरेन्द्र मोदी सरकार और नवउदारवादी टिप्पणीकारों पर यकीन करें तो सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने वाले एक लाख से अधिक किसान, जिनमें से अधिकांश ने अपने खेतों पर काम करके, फसल पैदा कर और स्थानीय मंडियों में उसे बेचकर जिंदगी गुजारी है, खेती किसानी के बारे में कुछ नहीं जानते और उन्हें शरारती तत्वों द्वारा गुमराह किया जा रहा है. वे यह नहीं महसूस कर रहे हैं...

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दूसरी लहर ग्रामीण जीवन पर कहर बरपा रही है, क्या यह ग्रामीण आजीविका को भी प्रभावित करेगी?

इस साल मार्च के बाद से हर रोज कोविड-19 के नए मामलों और मौतों में वृद्धि होने के बाद मीडिया ने रिपोर्ट (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) किया कि प्रवासी कामगार अपने प्रवास स्थलों से मूल स्थानों (यानी मूल स्थानों) पर वापस लौट रहे हैं. शहरों और बड़े औद्योगिक कस्बों में जहां समाज के हाशिए के वर्गों से अनौपचारिक और कम कुशल श्रमिक मौसमी रूप से प्रवास करते हैं,...

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