अब जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में चंद हफ्ते रह गए हैं, तो राज्य में चुनावी गहमागहमी चरम की ओर बढ़ चली है। हालांकि कर्नाटक की आर्थिक स्थिति कई अन्य सूबों के मुकाबले बेहतर है, फिर भी इसकी अपनी कुछ समस्याएं तो हैं ही। राज्य में खेती-किसानी काफी दबाव में है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2012 से 2017 के बीच वहां 3,500 से अधिक किसानों...
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फंसे कर्ज का बढ़ता मर्ज-- सतीश सिंह
एक तरफ भारतीय बैंक पहले से ही फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या से जूझ रहे थे, दूसरी तरफ पंजाब नेशनल बैंक में हुए फर्जीवाड़े ने एनपीए की समस्या को और गंभीर बना दिया है, क्योंकि इस फर्जीवाड़े का आंशिक असर यूनियन बैंक आॅफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ऐक्सिस बैंक पर पड़ सकता है, क्योंकि इन तीनों बैंकों ने पीएनबी द्वारा जारी किए गए एलओयू के आधार पर नीरव मोदी की...
More »पहला हक बिहार का है- मोहन गुरुस्वामी
मारी संसद इस सत्र में भी नहीं चल सकी. इस बार इसकी वजह यह मांग रही कि विभाजन के बाद के शेष बचे आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिया जाये. बिहार के लिए भी काफी दिनों से ऐसी ही मांग की जा रही है, जिसकी स्थिति आंध्र प्रदेश से बहुत भिन्न है. किसी राज्य को विशेष दर्जा देने की अवधारणा देश के विभिन्न क्षेत्रों के बीच समानता लाने के लिए...
More »जीने के मौलिक अधिकार की रक्षा-- अनूप भटनागर
अनुसूचित जाति और जनजाति (उत्पीड़न से रोकथाम)कानून के तहत शिकायत होने पर तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान को लचीला बनाने और जांच के बाद ही किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने संबंधी उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के बाद राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया उनके नजरिये को ही दर्शाती है। राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया को देखते हुए एक सवाल उठता है कि यदि बलात्कार और यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत दर्ज कराने...
More »बाधित संसद लोकतंत्र की अवमानना-- राजकुमार सिंह
संसदीय लोकतंत्र में संसद ही सर्वोच्च है। हमारे माननीय संसद सदस्य इस सर्वोच्चता का अहसास कराने का कोई मौका भी नहीं चूकते, पर खुद इस सर्वोच्चता से जुड़ी जिम्मेदारी-जवाबदेही का अहसास करने को तैयार नहीं। संसद में धनबलियों और बाहुबलियों की बढ़ती संख्या और लोकतंत्र की मूल भावना को इससे बढ़ते खतरे की चर्चा और चिंता मीडिया से लेकर सर्वोच्च अदालत तक मुखर होती रही है। जाहिर है, इस गहराते...
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