एक बार फिर जर्मनी में पर्यावरण व जलवायु के मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हो चुकी है। और फिर से ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा, जिससे यह कहा जा सके कि इस बार हम किसी बड़े निर्णय पर पहुंच पाएंगे। असली बाधा इसलिए है कि दुनिया को गरम होने से बचाने का मुद्दा दरअसल उद्योगों से जुड़ा हुआ है। अगर हम ‘ग्लोबल वार्मिंग' को रोकना चाहते हैं,...
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अभिजीत मुखोपाध्याय-- अभिजीत मुखोपाध्याय
विमुद्रीकरण की घोषणा के ठीक एक साल बाद, यह पूरी तरह स्पष्ट है कि यह कदम विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक हथकंडा था. जिसका मकसद प्रधानमंत्री को काला धन से लड़नेवाले एक ऐसे जेहादी अवतार के तौर पर पेश करना था, जो भ्रष्ट अमीरों की जान के पीछे पड़ा है. 8 नवंबर, 2016 को स्पष्ट उनके अपने शब्दों में- ‘इसलिए, भ्रष्टाचार, काला धन, नकली नोटों और आतंकवाद के विरुद्ध इस लड़ाई...
More »क्या सोचने पर पहरा है?-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
मनुष्य के जातीय गुणों पर चिंतन करनेवाले विद्वानों का मानना है कि सोचने की क्षमता मनुष्य को अन्य जीवों से अलग करता है. सोचने की क्षमता के कारण मनुष्य ज्ञान-विज्ञान का विकास कर पाता है. जब हम कहते हैं कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध आधिकार है, तो इसका मतलब होता है कि सोचने की स्वतंत्रता हमारा मानवाधिकार है. ऐसे में यदि कोई सरकार या समाज मनुष्य के सोचने पर पहरा लगाना...
More »राजस्थानी भोजन का जवाब नहीं-- बाबा मायाराम
धापु बाई ने राजस्थानी में लोकगीत की ऐसी तान छेड़ी कि सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। यह गीत राजस्थान में पाए जाने वाले खेजड़ी वृक्ष पर था। इसकी लोग पूजा करते हैं। फलियों की सब्जी बनती है, जिसे सांगरी कहते हैं। पत्तियां जानवर चरते हैं। यह राजस्थान का राज्य वृक्ष भी है। इसी गीत से खाद्य विकल्प संगम की शुरूआत हुई। यह राजस्थान के बीकानेर के बज्जू में 6 से 9 अक्टूबर...
More »नागरिक अधिकारों पर कुठाराघात-- रामबहादुर राय
बीते सोमवार को राजस्थान विधानसभा में राज्य सरकार ने एक बिल पेश किया था, जिसमें प्रावधान था कि नेताओं, लोकसेवकों तथा जजों के खिलाफ मामला दर्ज करने से पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी. गौरतलब है कि इस बिल को विधानसभा में पेश करने से पहले राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने सितंबर महीने की 7 तारीख को एक अध्यादेश भी जारी किया था. हालांकि, इस अध्यादेश को राजस्थान हाइकोर्ट...
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