बगहा [प.चंपारण, संजय कुमार उपाध्याय]। राज्य की इकलौती व्याघ्र परियोजना वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में हरित भूमि [ग्रास लैंड] की कमी से जंगल का कानून तो धराशायी हो ही गया है, इको टूरिज्म के फेल होने का भी खतरा बढ़ गया है। घास नहीं मिलने से जानवरों के समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई है। शाकाहारी जानवर पर्यटकों की फेंकी पालीथीन खाकर जीवन जोखिम में डाल रहे हैं तो मांसाहारी जानवरों को...
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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »लोकलाज से महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार
महिला व बाल विकास विभाग की ओर से महिलाओ को घरेलू हिंसा से निजात दिलाने के लिए चलाई जा रही योजना पूरी तरह से सिरे चढ़ती दिखाई नहीं दे रही है। कानून होने के बाद भी मेवात में सैकड़ों महिलाएं घरेलू हिसा की शिकार हो रही हैं। विभाग योजना के प्रचार-प्रसार के तहत महिलाओं को इस बारे में जागरूक करने का दावा कर रहा है, लेकिन पिछले एक साल में घरेलू...
More »जहर का कारोबार- वंदना शिवा
भोपाल गैस त्रासदी मनुष्य जाति के इतिहास का भयावहतम औद्योगिक हादसा था, लेकिन इसके शिकार हुए लोगों के साथ हुआ अन्याय भी किसी त्रासदी से कम नहीं है। यूनियन कार्बाइड में ‘काराबिल’ नामक कीटनाशक बनाया जाता था, जिसका इस्तेमाल मुख्यत: कपास की खेती में होता है। गैस त्रासदी के बाद ही मैंने निश्चय किया था कि मैं जैविक खेती को बढ़ावा देने की कोशिश करूंगी और यही विचार ‘नवधान्य’ की...
More »शिशु श्रमिकों के लिए बनेगा स्वल्पकालीन केंद्र
भुवनेश्वर। शिशु श्रमिकों के बारे में कोई जानकारी न होने को ले इनके लिए स्वल्पकालीन केन्द्र बनाया जाएगा। विद्यालय में न जाकर विभिन्न क्षेत्र में श्रमिक के तौर पर कार्य कर रहे शिशुओं के उद्धार किए जाने पर भी उनके रखरखाव हेतु कोई निर्धारित कार्यक्रम हाथ में लेना अभी तक सम्भव नहीं हो पाया है। उद्धार किए जा रहे शिशुओं के सही रखरखाव के लिए कोई योजना न होने से...
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