अर्थव्यवस्था के विकास में कुछ भयावह गड़बड़ी है. भारत आर्थिक उदारीकरण के 18 साल बाद बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है, लेकिन ऊंचे विकास के बल पर गरीबी हटाने और भुखमरी मिटाने के वायदे पूरे नहीं हो पाए हैं. वास्तव में, गरीबी और विषमता घटने के बजाय और बढ़ गई है. आर्थिक विकास जितना बढ़ रहा है उतनी ही गरीबी भी बढ़ रही है. गरीब प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के...
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प्रदेश में तीन हजार गांव बनेंगे ऊर्जा संपन्न
भोपाल। मध्यप्रदेश के जनजातीय अंचलों के तीन हजार गांवों को उूर्जा संपन्न गांव के तौर पर विकसित किया जाएगा। परियोजना समंवयक एल एम बेलवाल ने बताया कि जनजातीय बहुल गांवों में गैर पारंपरिक उूर्जा स्त्रोतों को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि धार, झाबुआ, बडवानी, आलीराजपुर, शयोपुर, मण्डला, डिण्डौरी, अनूपपुर और शहडोल जिलों के तीन हजार गांवों में मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका परियोजना के तहत लगभग ढ़ाई हजार...
More »फल-सब्जियों के दम पर चढ़ी खाद्य महंगाई
नई दिल्ली। बाजार में रबी की फसल आने के बावजूद खाद्य महंगाई चढ़ गई। एक बार फिर फलों और सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के चलते 8 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 16.49 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पिछले सप्ताह यह दर 16.44 प्रतिशत पर थी। दिसंबर, 09 में यही खाद्य मुद्रास्फीति 20 प्रतिशत के करीब पहुंच गई थी। विश्लेषकों का अनुमान है कि...
More »खाद्य महंगाई बढ़कर 16.44 प्रतिशत हुई
नई दिल्ली। देश की वार्षिक खाद्य महंगाई दर गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार एक मई को समाप्त हुए सप्ताह में बढ़कर 16.44 प्रतिशत रही। इससे पिछले सप्ताह में खाद्य महंगाई की दर 16.04 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई की दर 17 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में 16.61 प्रतिशत और 10 अप्रैल को समाप्त हुए हफ्ते में 17.65 प्रतिशत थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी थोक मूल्य सूचकांक [डब्ल्यूपीआई] के आंकड़ों के...
More »हरी वादियों का चितेरा
अस्सी के दशक की शुरुआत से ही एक अकेले व्यक्ति के शांत प्रयासों ने ऐसे ग्रामीण आंदोलन की नींव रखी जिसने उत्तराखंड की बंजर पहाड़ियों को फिर से हराभरा कर दिया। सच्चिदानंद भारती की असाधारण उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास किया संजय दुबे ने। (तहलका-हिन्दी से साभार) शायद ही कुछ ऐसा हो जो संच्चिदानंद भारती को उफरें खाल के बाकी ग्रामीणों से अलग करता हो। ये तो जब वो...
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