शिमला [ब्रह्मानंद देवरानी]। देर आयद, दुरुस्त आयद यह कहावत कोटखाई क्षेत्र के उन लोगों पर चरितार्थ होती है जिन्होंने वनों के अवैध कटान और जल संरक्षण के लिए बीड़ा उठाया है। संभव है कि छोटी सी ही सही, लेकिन इन लोगों ने वनों की अहमियत को समझकर जो पहल की है, निस्संदेह यह कदम जलवायु परिवर्तन के लिए उपयोगी होगी। वनों का अवैध कटान कर उस भूमि पर बागीचा लगाने के लिए बदनाम ऊपरी शिमला...
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बाघों की मौत का वर्ष होगा 2010
समूची दुनियां में भारत की वन्य जीव संपदा से भरपूर सबसे बड़े देश के रूप में गिनती होती है. तमाम प्राकृतिक प्रकोप बाढ़ ओद आपदाओं, अंधांधुध शिकार, कभी जान की सुरक्षा के चलते की जाने वाली हत्याओं ओद कारणों से हुई वन्य जीवों की बेतहाशा मौत के बावजूद यह स्तर आज भी कायम है. राष्ट्रीय पशु बाघ को लें. एक समय देश में बाघों की तादाद करीब चालीस हजार थी. आज सरकार की...
More »खनन पट्टों के नवीकरण पर रोक से उबाल
सासाराम। रोहतास उद्योग पूंज की बंदी की भरपाई को विकसित करवंदिया का पत्थर उद्योग संकट में है। इस उद्योग से सीधे जुड़े 50 हजार हांथों पर बेरोजगारी की तलवार लटक गयी है। दो हजार करोड़ के सालाना टर्न ओवर वाले इस उद्योग से मजबूत हुई जिला की आर्थिक संरचना भी डगमगाने लगी है। आने वाली स्थिति को भाप करोड़ों की पूंजी लगाये बैंकों के हाथ-पाव फूलने लगे हैं। हाल में राज्य सरकार के बिहार लघु...
More »आईआईटी ने तैयार किया तीस साल का वर्षा रिकार्ड
रुड़की। दिसंबर खत्म होने को है। हल चलाकर किसान धरती के सीने में सुनहरे भविष्य की आशाएं संजोए गेहूं और दूसरी फसलों के बीज बो चुके हैं। धरा के गर्भ में पड़ा नन्हा बीज अंकुरित होकर जन्म लेने को आतुर है, लेकिन इंद्रदेव का दिल पसीजने को तैयार नहीं है। कातर निगाहें लगातार आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं, रह-रहकर आकाश पर बादल तो छाते हैं, लेकिन शाम ढलते-ढलते ये भी अनंत गंतव्य का...
More »डुबकी लगाने लायक भी नहीं है गंगा
नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। तारने वाली गंगा के पानी के मारक होने पर बहस हो सकती है मगर एक बात तय है कि अब गंगाजल आचमन तो छोड़िए नहाने लायक भी नहीं है। भागीरथी के दामन से प्रदूषण के दाग धोने पर अरबों रुपया बहाने के बावजूद सरकार के तथ्य बताते हैं कि कि गंगोत्री से लेकर डायमंड हार्बर के बीच अधिकतर स्थानों पर गंगा जल से दूर ही रहने में भलाई है। ...
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