मुजफ्फरपुर [जाटी]। मानसून करीब आते ही उत्तर बिहार में बाढ़ की आहट सुनाई देने लगी है। लेकिन इससे निपटने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था अब भी अधूरी है। इस बार भी बड़ी संख्या में न सिर्फ स्कूल बंद होंगे बल्कि बच्चों की पढ़ाई भी ठप होगी। मुजफ्फरपुर और दरभंगा को छोड़कर कहीं भी वैकल्पिक स्कूल खोलने की कवायद नहीं हो रही है। मधुबनी में तो प्रशासनिक कारनामा और भी चौंकाने वाला है। यहां बाढ़ के दौरान चूंकि...
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हरी वादियों का चितेरा
अस्सी के दशक की शुरुआत से ही एक अकेले व्यक्ति के शांत प्रयासों ने ऐसे ग्रामीण आंदोलन की नींव रखी जिसने उत्तराखंड की बंजर पहाड़ियों को फिर से हराभरा कर दिया। सच्चिदानंद भारती की असाधारण उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास किया संजय दुबे ने। (तहलका-हिन्दी से साभार) शायद ही कुछ ऐसा हो जो संच्चिदानंद भारती को उफरें खाल के बाकी ग्रामीणों से अलग करता हो। ये तो जब वो...
More »‘मेरे पास कोई बटन नहीं है जिसे दबाकर चीजें तुरंत बदल दूं’- नीतीश कुमार
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन लगता नहीं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस चुनौती की ज्यादा फिक्र है. विजय सिम्हा से बातचीत में नीतीश बता रहे हैं कि उनकी सरकार तीन सबसे प्रमुख मुद्दों- निवेश, शिक्षा और भूख पर कैसे आगे बढ़ने वाली है और क्यों उन्हें इस मामले में केंद्र से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है. (तहलका हिन्दी से साभार) बिहार में भूख अभी भी एक समस्या है, लेकिन इसे...
More »भूख है तो सब्र कर
इलाहाबाद। शुरुआत करते हैं दुष्यंत कुमार के एक शेर से-न हो कमीज तो पांव से पेट ढक लेंगे, ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए। दरअसल इस शेर की याद इसलिए आई कि राज्य के मानवाधिकार आयोग ने एक ऐसे मामले का संज्ञान लिया है जो दुखद तो है ही साथ ही शर्मसार कर देने वाला भी है। इलाहाबाद के एक गाव में भूख मिटाने के लिए बच्चे मिट्टी खाने को...
More »सरदार सरोवर का सबक
यह सच है कि सरदार सरोवर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है, जो 800 मीटर नदी में बनी अहम परियोजना है। सरकार कहती है कि वह इससे पर्याप्त पानी और बिजली मुहैया कराएगी। मगर सवाल है कि भारी समय और धन की बर्बादी के बाद वह अब तक कुल कितना पानी और कितनी बिजली पैदा कर सकी है और क्या जिन शर्तों के आधार पर बांध को मंजूरी दी गई थी वह शर्तें...
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