आर्थिक मामलों की काबीना समिति की हाल की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक साल 2019-20 में बिक्री के लिए तैयार खरीफ की तमाम फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत से कम से कम 50 फीसद ज्यादा घोषित किया गया है. नये बजट के पेश होने के दो दिन पहले जारी इस आधिकारिक घोषणा से ऐसा जान पड़ता है मानो केंद्र की नयी सरकार ने अपना वादा निभाया है और किसानों को उनकी फसल...
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आरटीआई से खुलासा, दिल्ली में भुनाए गए करीब 80 फीसदी चुनावी बॉन्ड
इंदौर: सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि सियासी दलों को चंदा देने के लिए मार्च 2018 से मई 2019 के बीच कुल 5,851.41 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड (इलेक्टोरल बॉन्ड) खरीदे गए. गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से 80.6 प्रतिशत बॉन्ड सिर्फ नई दिल्ली में भुनाए गए जहां प्रमुख सियासी दलों के राष्ट्रीय मुख्यालय स्थित हैं. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने दो...
More »आरटीआई कानून काफी विचार विमर्श के बाद बना था, इसमें संशोधन कर इसे कमजोर किया जा रहा: अरुणा रॉय
जयपुर: प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने बीते सोमवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में संशोधन कर उसे कमजोर करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का यह कदम बहुत ही अलोकतांत्रिक है. जयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में रॉय ने कहा कि जिस कानून पर संसद की स्थायी समिति में बहुत गहन और बारीकी से...
More »हरियाणा के 11 गांवों के लिए ‘राक्षस’ बना पानी, लोग इच्छा मृत्यु को तैयार
जींद : भाखड़ा नहर से साफ पानी की मांग को लेकर 20 जून से धरने पर बैठे 11 गांवों के किसान अब इच्छामृत्यु करना चाहते हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि जहरीला पानी तो वैसे भी उन्हें मार रहा है और सरकार उन्हें पीने और सिंचाई के लिए साफ पानी देना नहीं चाहती. इसके लिए वो अर्धनग्न विरोध से लेकर सिर तक मुंड़वा चुके हैं. इन गांव के लोगों ने पंजाब...
More »ग्राम सभाओं की जरूरत-- डा. अनुज लुगुन
आम बजट में सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है. बजट पर अर्थशास्त्रियों के अपने-अपने मत हैं. बीबीसी की वेबसाइट में प्रकाशित एक आर्थिक विश्लेषण में कहा गया कि अर्थव्यवस्था कहां होगी और अर्थव्यवस्था में कौन कहां होगा, ये दो अलग-अलग और महत्वपूर्ण सवाल हैं. हमारा सवाल भी यही है कि अर्थव्यवस्था में कौन कहां होगा? इस सवाल को आर्थिक से ज्यादा सामाजिक...
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