बेरोजगारी फिलहाल देश की बड़ी चिंताओं में पहले पायदान पर है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने देश को आश्वस्त किया कि गत एक बरस में 18-25 की उम्र के 70 लाख युवाओं ने संगठित क्षेत्र में रोजगार पाया, इसका प्रमाण सरकारी बही में दर्ज कर्मचारी भविष्यनिधि (ईपीएफ) के 70 लाख नए खाते हैं। इस आशावादी घोषणा का आधार थी (विगत जनवरी में छपी आईआईएम के प्रोफेसर पुलक घोष व एक राष्ट्रीयकृत...
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भारत में जलमार्गों की आर्थिकी-- प्रवीर पांडे
अतीत में व्यापार और यात्री परिवहन के लिए नदियां एक समृद्ध माध्यम रहीं। लेकिन सड़क और रेलतंत्र के विकास के साथ ही नदी आधारित परिवहन पर ध्यान कम होने लगा। अब जब विकास और उन्नति के साथ ही पर्यावरण को बनाए रखने पर जोर है- परिवहन के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग विकास पर भी ध्यान केंद्रित हो रहा है। गंगा-यमुना और देश की अन्य नदियों को पुनर्जीवित करने के साथ ही...
More »बुनियादी ढांचे की बदलती परिभाषा-- नंदन नीलेकणि
अगर बाल्टी में छेद हो, तो इस धरती का पूरा पानी भी उसे कभी नहीं भर सकता। वित्त मंत्री को न सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बौद्धिकता को प्रोत्साहित करने के लिए फंड मुहैया करना होगा, बल्कि हाशिये के लोगों को भी देखना होगा। साफ है, हमें अपनी बुनियादी समस्याओं पर भी उतना ही ध्यान देने की जरूरत है, जितना महत्वाकांक्षी बड़ी परियोजनाओं पर। दोनों सिरों को साधना अब कोई...
More »महाराष्ट्र में साढ़े तीन सालों में 1687 लोगों ने कराया धर्म परिवर्तन
मुंबई। महाराष्ट्र में पिछले 43 माह यानी करीब साढ़े तीन साल में 1,687 लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है। इसमें 1,166 हिंदुओं ने इस्लाम, ईसाई और बौद्ध सहित अन्य धर्मो को अपनाया है। आरटीआइ के जरिये पूछे एक सवाल के जवाब में यह जानकारी सामने आई है। जवाब में कहा गया है कि इस दौरान धर्म परिवर्तन करने वालों में 44 फीसद (1,687 में 749) लोगों ने इस्लाम धर्म अपनाया...
More »मानवीय गरिमा के खिलाफ--- कनिष्का तिवारी
नए साल की शुरुआत में ही हस्त आधारित मल निस्तारण की वजह से सात लोग अपनी जान गंवा बैठे। वर्ष 2017 में यदि अखबारों के आंकड़ों पर ही गौर करें तो सौ दिनों के अंतराल में सत्रह मजदूरों को इस अमानवीय कार्य में लगने के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी। यह एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुंचाती है, साथ ही संविधान व मानवीय आचरण के...
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