वैज्ञानिकों के एक वर्ग का मत है कि आइस एज के बाद बारह हजार वर्षों का स्थिर जलवायु का दौर होलोसीन, जिसके दौरान मानव सभ्यताओं का विकास हुआ, अब समाप्त हो चुका है. इस दौर की समाप्ति का कारण है मानव जाति का धरती की जलवायु में जबरदस्त हस्तक्षेप. वैज्ञानिक नये दौर को एक नया नाम 'एंथ्रोपोसीन' देना चाहते हैं. द इकोनॉमिस्ट पत्रिका ने तो वर्ष 2011 में ही...
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धान खरीद योजना के नाम पर लूट
महालेखाकार की जांच में हुआ है भारी गड़बड़ी का खुलासा, सीबीआइ ने एफसीआइ के गोदामों में की है छापामारी राज्य में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की योजना वित्तीय वर्ष 2011-12 में शुरू हुई थी, जो अब तक चल रही है. इस बीच वित्तीय वर्ष 2013-14 में सिर्फ दो जिले रामगढ़ व हजारीबाग तथा 2014-15 के सुखाड़ में भी हजारीबाग जिले में धान की खरीद...
More »1000 करोड़ की फसल बर्बादी से धीमी होगी विकास की चाल-- प्रकाशकांत
पूरे देश की ही तरह मध्य प्रदेश के अर्थतंत्र की रीढ़ भी खेती है। इसी खेती ने 2008 की विश्व मंदी में भी देश की अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाया था। हालांकि, यही खेती खुद भी कभी सूखे तो कभी अतिवृष्टि की शिकार होती रही है। नईम की इन पंक्तियों की तर्ज पर कि 'सूखे का हुआ कभी/कभी हुआ बाढ़ का/पहला दिन मेरे आषाढ़ का"। इस बार आषाढ़ तो नहीं मगर...
More »मानसून पड़ गया कमज़ोर 28 प्रतिशत कम बारिश दर्ज
देशभर में बीते सप्ताह की अोर अगर नज़र दौड़ाई जाये तो दक्षिण-पश्चिम मानसून अब कमज़ोर पड़ती जा रही है। मौसम विभाग के अनुसार पिछले सप्ताह देश में सामान्य से 28 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गयी। हिमाचल के अधिकांश इलाकों तथा जलग्रहण क्षेत्रोें में पिछले एक सप्ताह से बारिश नहीं हुई है। कहीं-कहीं हल्की बूदें पड़ी। मौसम विभाग के अनुसार पंजाब तथा हरियाणा में अगले 2 दिनोें में बारिश होने के...
More »लुप्त होती तटीय सुरक्षा पंक्ति--- रमेश कुमार दुबे
इस साल अच्छी मानसूनी बारिश से जहां किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। इस बाढ़ की वजह अच्छी बारिश उतनी नहीं है जितनी कि विकास की अंधी दौड़ में पानी के कुदरती निकासी तंत्र को भुला दिया जाना। शहरों का विकास नदियों के बाढ़ क्षेत्रों, तालाबों व समीपवर्ती कृषि भूमि की कीमत पर हो रहा है। शहरों के...
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