मुजफ्फरपुर [मो. शमशाद]। यह मुर्दो का घर है। दुनिया इसे कब्रिस्तान के नाम से जानती है। हयात पूरी होने के बाद अपनों के कंधों पर लोग जनाजे की शक्ल में आकर यहां दफन हो जाते हैं। मगर, कुछ बदनसीब ऐसे भी हैं, जो हैं तो जिंदा मगर इनका आशियाना इन्हीं मुर्दो के बीच है। जी हां, यह उनकी मजबूरी है। कहीं आसरा नहीं मिला तो कब्रिस्तान को ही बना डाला घर। इस सच्चाई को...
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बारिश कम होने से सूखे जैसे हालात
जम्मू, जागरण संवाददाता : वर्ष 2009 मौसम को चुनौतियां देता दिखा। न तो समय पर बारिश हुई और न ही गर्मी, सर्दी भी ऐसी रही कि इससे पर्यावरण को सुरक्षित माना जाए। कम बारिश होने के कारण और तापमान के उतार चढ़ाव के चलते फसल तो प्रभावित हुई ही पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात के दिनों में निकलने वाले झरने भी नहीं फूटे। पर्यावरणविद् डा. संजय शर्मा के अनुसार नदी-नालों का जलस्तर कम हुआ है। बहुत से...
More »लोकतंत्र पर भारी पड़ी भूख की लड़ाई
दाउदनगर (औरंगाबाद) झारखंड के मजदूरों को राजनीति से कोई मतलब नहीं रह गया है। यहां जिनोरिया में कृषि कार्य करने पलामू और गढ़वा जिला से दर्जनों मजदूर आए है। उन्हे इससे भी कोई मतलब नहीं है कि झारखंड की राजनीति क्या हो रहा है। उन्हें बस अपने पेट की चिंता है। छतरपुर के रामपति भुईयां कहते है कि घर दुआर हइए नहीं है, खपरैल है, जैसे तैसे रहते है। चुआड़ी बनाकर बरसात का पानी पीते...
More »आईआईटी ने तैयार किया तीस साल का वर्षा रिकार्ड
रुड़की। दिसंबर खत्म होने को है। हल चलाकर किसान धरती के सीने में सुनहरे भविष्य की आशाएं संजोए गेहूं और दूसरी फसलों के बीज बो चुके हैं। धरा के गर्भ में पड़ा नन्हा बीज अंकुरित होकर जन्म लेने को आतुर है, लेकिन इंद्रदेव का दिल पसीजने को तैयार नहीं है। कातर निगाहें लगातार आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं, रह-रहकर आकाश पर बादल तो छाते हैं, लेकिन शाम ढलते-ढलते ये भी अनंत गंतव्य का...
More »किसानों के चार अरब बिजली कंपनी की जेब में
भोपाल। रबी की फसल की सिंचाई के लिए प्रदेश भर के किसानों ने बिजली कंपनियों को टेम्परेरी कनेक्शन के रूप में जो चार अरब रुपए जमा किए थे, किसान अब वह पैसा बिजली कंपनियों से वापस मांग रहे हैं। किसानों का तर्क है कि बरसात की वजह से जब वे बिजली का उपभोग ही नहीं करेंगे तो फिर उनका जमा पैसा वापस किया जाए। भारतीय किसान संघ महाकौशल प्रांत के...
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