गुजरात में कथित गोरक्षकों द्वारा दलित युवाओं को निर्ममता से पीटे जाने के विरोध में हुए दलितों के आंदोलन ने भारतीय सामाजिक संरचना की विसंगति को फिर से उजागर किया है. जिस तरह से दलितों ने मरी हुई गायों को जिला कलेक्टर के दफ्तर के सामने फेंक कर बहिष्कार का प्रदर्शन किया, उसने फिर से बाबा साहेब आंबेडकर के नेतृत्व में हुए महाड़ आंदोलन की याद दिला दी. लाखों की...
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देश के मुद्दे और मीडिया की जंग -- मिहिर भोले
मीडिया की दो दिग्गज हस्तियों बरखा दत्त और अर्नब गोस्वामी के बीच छिड़ी घोषित-अघोषित जंग आज-कल चरचा में है. दोनों ही देश के एकसमान प्रतिष्ठित और लोकप्रिय पत्रकार हैं. दोनों की अपनी-अपनी फैन-फॉलोइंग है. बरखा लिख रही हैं और अपने लिए वैचारिक समर्थन जुटाने के लिए ट्वीट भी कर रही हैं. दूसरी ओर अर्नब बिना नाम उछाले अपने शो में बरखा की सोच का जोरदार प्रतिवाद करते जा रहे...
More »दमन का दंश-- मुकेश भारद्वाज
नवउदारवाद के निजामों ने पिछले ढाई दशकों के दौरान स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के उदारवादी मूल्यों को चुनौती दी। बाजार के हाहाकार में सामंती मूल्यों को ही स्थापित करने की कोशिश की गई। स्त्रियों, दलितों सहित अन्य दमित वर्गों को समझाया गया कि बाजार सारी गैरबराबरी मिटा देगा। गुजरात का विकास मॉडल अभी बाजार में भुनाया ही जा रहा था कि कलक्टर साहब के दफ्तर के आगे और सड़कों पर...
More »नेताओं और अफसरों ने भी सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर खरीदी जमीन
रांची : सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर जमीन खरीदने में राज्य के नेता और अफसर भी शामिल हैं. राज्य के करीब सभी राजनीतिक दलों से संबद्ध नेताओं और सरकार के वरीय अफसरों ने रांची जिले के विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी जमीन खरीदी है. कई नेताओं व अफसरों ने अपने नाम पर भूमि की खरीद की है, तो कई ने रिश्तेदारों के नाम पर. नेताओं व अफसरों...
More »शासन की भटकी प्राथमिकताएं-- उर्मिलेश
अपनी हाल की पूर्वी उत्तर प्रदेश यात्रा में मुझे बार-बार इस बात का एहसास होता रहा कि किस तरह हमने अपने वास्तविक मसलों को छोड़ कर अनावश्यक सियासी विवादों को प्राथमिकता में शुमार कर लिया है! यह सिर्फ किसी एक व्यक्ति, एक दल या एक सरकार की बात नहीं है, ऐसा लगता है मानो यह हमारा राष्ट्रीय स्वभाव बन गया है. बड़े राजनीतिक दलों के बड़े पदाधिकारी भी एक-दूसरे को...
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