भारत में उम्मीद की एक ताजा हवा बह रही है। नई सरकार, जिसे देश ने निर्णायक जनादेश दिया, तेजी से देश के विकास एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। पिछले बारह महीनों में घटनाक्रम में जो बदलाव आया है, उसने राष्ट्रीय मानस का निर्माण किया है। जो वैश्विक निवेशक पहले भारत के बारे में सवाल उठा रहे थे, वे अब देश में विकास संभावनाओं में सुधार की बातें कर रहे...
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लूट का अध्यादेश- के सी त्यागी
बाईस दिसंबर को संसद का सत्र समाप्त होने के तुरंत बाद सरकार द्वारा जारी अध्यादेश से जहां बिल्डर समुदाय और कॉरपोरेट घराने गदगद हैं वहीं दूसरी ओर किसान फिर पुरानी शंकाओं से भयभीत हैं। वित्तमंत्री अरुण जेटली कुशल अधिवक्ता हैं, वे अपनी सरकार द्वारा किए गए इन बदलावों को बड़ी चतुराई से शब्दों का ताना-बाना बुन कर किसानों के हित में बताने का विफल प्रयास कर रहे हैं। पर शायद...
More »हमसे स्कूल मत छीनो - निवेदिता
मेरा शहर निहायत बदसूरत है। एक ऐसा शहर जहां पेड़-पौधे नहीं हैं, बाग नहीं हैं और जहां मौसम का फर्क सिर्फ आसमान में नजर आता है। उसके बावजूद कुछ है जिसने घोर दुखों के बीच जीवन को बनाए रखा है, सपने मरने नहीं दिए और जिसने लजाते सौंदर्य का उसकी खोह तक पीछा किया। सबसे अहम बात है जिंदगी के पक्ष में खड़ा रहना, अपनी दुनिया की बेहतरी के लिए...
More »आठवीं के चार लाख बच्चे नहीं जानते जोड़ना-घटाना
रायपुर (निप्र)। छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की हालत बहुत खराब है। कक्षा आठवीं के करीब चार लाख बच्चों को जोड़-घटाना नहीं आता। यानी 75 फीसदी बच्चे दहाई अंकों को जोड़-घटा नहीं सकते। आठवीं के 1.5 फीसदी बच्चे 1 से 9 तक के अंकों को पहचान नहीं पाते। इसी तरह 68 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के सरल वाक्य भी नहीं पढ़ पाते। आठवीं के 4.8 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के कैपिटल लेटर को पहचान...
More »बच्चों को लिखना-पढ़ना नहीं आया - योगेन्द्र यादव
पिछले महीने वंचित तबके के बच्चों के बीच काम करनेवाले एक संगठन ने न्योता भेजा कि आपको शिक्षा के मुद्दे पर आयोजित हमारे एक संवाद में बोलना है. बीजेपी और कांग्रेस के प्रतिनिधि भी आमंत्रित थे. विषय था- ‘2030 में शिक्षा का भविष्य'. संचालन की भूमिका एक जाने-पहचाने टीवी एंकर ने संभाल रखी थी. शुरुआत ही में एंकर ने हम तीनों में झगड़ा करवाने की कोशिश की. मैंने इस खेल में...
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