ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में ग्लेशियरों का पिघलना कोई अचरज की बात नहीं रह गई है। हर साल ग्लेशियरों का दायरा सिकुड़ने और समुद्र की सतह कुछ उठ जाने के आंकड़े आते रहते हैं। मगर उससे भी महत्त्वपूर्ण बात अब तक ग्लेशियरों के बचाव की दिशा में कोई महत्त्वपूर्ण कदम नहीं उठाया जाना है। मौजूदा हालात में सर्वाधिक चिंता का विषय यही है। अभी हाल के वाडिया इंस्टीट्यूट...
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कुपोषण से कैसे लड़ सकते हैं-- रीतिका खेड़ा
हाल ही में जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2016 में 118 देशों की सूची में भारत को 97वें स्थान पर रखा गया है। हममें से जो लोग भारत में भूख और पोषण से संबंधित मुद्दों की उपेक्षा के लिए चिंतित रहते हैं, उनके लिए ये आंकड़े बड़ी खबर हैं, जिसने मीडिया का भी ध्यान खींचा है। कुपोषण एक ऐसी समस्या है, जो विभिन्न पीढ़ियों में पाई जाती है। एक कुपोषित मां द्वारा एक...
More »कैसे रुकेंगे ऐसे हादसे--- अमरनाथ सिंह
वाराणसी में बाबा जय गुरुदेव के अनुयायियों के एक कार्यक्रम में अचानक हुई भगदड़ ने एक बार फिर यह साबित किया है कि आज भी अपने देश में कारगर भीड़ प्रबंधन की कमी है। बात केवल वाराणसी की इस घटना की नहीं है। हर साल भीड़ के बेकाबू होने से हादसे होते हैं। हालांकि भगदड़ की घटनाएं केवल भारत में नहीं, विदेशों में भी होती हैं। लेकिन जहां विदेशों में...
More »इस वर्ष तीसरी तिमाही के दौरान स्टार्टअप्स में कम हुआ निवेश
केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से देशभर में स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके अलावा अनेक उद्यमी अपने-अपने स्तरों पर स्टार्टअप्स को विस्तार देने के लिए विविध स्रोतों से निवेश हासिल कर रहे हैं. हालांकि, स्टार्टअप्स द्वारा मुहैया करायी जानेवाले सेवाओं और प्रोडक्ट की ओर लोगों के रुझान में भी दिनों-दिन वृद्धि होती दिख रही है. लेकिन, ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि स्टार्टअप्स को हासिल होनेवाले...
More »पर्यावरण विमर्श का जनपक्ष-- अनुज लुगुन
विश्व बाजार में आज दो विपरीत चीजें एक साथ चल रही हैं- हथियारों की होड़ एवं पर्यावरण विमर्श. ग्लोबलाइजेशन ने ‘ग्लोबल' होने का जो सिद्धांत दिया, उसने ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को भी पैदा किया. क्योंकि ‘ग्लोबल' होने का आधार बाजार को बनाया गया और बाजार ने पूंजी के जिस प्रलोभन को जन्म दिया, उसने हथियारों की होड़ को पैदा किया. अगर गंभीरता से देखा जाये, तो इन दोनों का...
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