SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 5902

दालों की कीमत नियंत्रण के लिए भंडार सीमा तय

नयी दिल्ली : दालों की जमाखोरी रोकने तथा कीमतों पर अंकुश लगाने के इरादे से केंद्र ने आयातकों, निर्यातकों, लाइसेंस प्राप्त खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं के साथ बिग बाजार जैसे बडे डिपार्टमेंटल दुकान चलाने वाले खुदरा विक्रेताओं के लिये भंडार सीमा आज नियत की. साथ ही राज्य सरकारों को जमाखोरी विरोधी कार्रवाई तेज करने तथा कारोबारियों द्वारा कालाबाजारी तथा मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने का भी निर्देश दिया गया है. दालों की भंडार...

More »

घटते निर्यात से बढ़ सकती है बेरोजगारी

नई दिल्ली। पिछले 10 महीनों से देश के निर्यात में हो रहे लगातार गिरावट से सरकार के होश उड़े हुए हैं। ऐसे समय जब रोजगार बाजार में युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, निर्यात में लगातार गिरावट से देश में बेरोजगारी फैलने के आसार हैं। खास तौर पर चमड़ा, इंजीनियरिंग उत्पाद, कपड़ा और रत्न व आभूषण जैसे क्षेत्रों में निर्यात घटा है, उसे देखते हुए इन क्षेत्रों में लाखों लोगों...

More »

इनाम और ओहदे लौटाने से क्या होगा? - विष्‍णु खरे

1954-55 में जब भारत सरकार ने साहित्य अकादेमी की स्थापना की थी तब देश में कांग्रेस का शासन था। उसके संस्थापक-पितरों में जवाहरलाल नेहरू, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मौलाना अबुल कलाम आजाद और डॉ. जाकिर हुसैन जैसे राजनीतिक-सांस्कृतिक युगनिर्माता थे। बाद में कभी इंदिरा गांधी भी अकादेमी की सदस्य रहीं, जब वे केंद्रीय सूचना तथा प्रसारण मंत्री थीं। अकादेमी के संस्थापक-सचिव कृष्ण कृपालाणी थे, जो रबींद्रनाथ ठाकुर की एकमात्र संतान नंदिता के...

More »

लेखकों के विरोधी तेवर अच्छी बात - मृणाल पांडे

राजनीति और राजकाज पर दलगत राजनीति से बाहर कई अलग-अलग कार्यक्षेत्रों में भी गंभीरता से विचार किया जाता है। शासन उदार और संवेदनशील हो तो राजनीति के बाहर से आ रही प्रतिरोध की आवाज को सादर सुनकर राजनीति में संशोधन किए जाते हैं। पर यदि शासक आलोचना को राजद्रोह मानने पर उतारू हो जाए तो छुटभैये मुसाहबों द्वारा साहित्यिक, अकादमिक या स्वैच्छिक संगठनों से जुड़े आलोचकों को अपमानित करने से...

More »

गरीबी के बारे में डीटन ने बढ़ाई है अर्थशास्त्र की समझ-- रीतिका खेड़ा

अपने पूरे कैरिअर में माप के मसले उनकी चिंताओं के केंद्र में रहे हैं। उनके अनुसार आंकड़ों को बिना सवाल किए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए इस सदी के शुरूआती वर्षों में उन्होंने भारत में मूल्य सूचकांक की गणना की समस्याएं रेखांकित करते हुए यह दिखाया था कि वह कैसे गरीबी संबंधी अनुमानों को प्रभावित करती है। भारत के संबंध में उनका एक और काम गौर फरमाने...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close