रायपुर. नई राजधानी प्रभावित किसान जमीन की कीमत बढ़ाने की मांग पर अड़ गए हैं। किसान जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए अड़े हुए हैं। उन्हें जमीन के बदले जमीन चाहिए। पिछले नौ सालों से प्रतिबंध झेल रहे किसानों को जमीन की कीमत मात्र छह लाख 58 हजार (असिंचित) और सात लाख आठ हजार रुपए (सिंचित)एकड़ की दर से भुगतान किया जा रहा है। सरकार ने मांग नहीं मानी तो किसान बड़ी लड़ाई के लिए...
More »SEARCH RESULT
‘अब हर किसी को गेहूं और चावल चाहिए’- शरद पवार
सुबह के आठ बजे हैं. लेकिन 69 वर्षीय भारत के कृषि मंत्री शरद पवार अपने दिल्ली स्थित घर में बने ऑफिस में व्यस्त हो चुके हैं...अनाज और सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों के मुद्दे पर आलोचनाओं से घिरे पवार ने अजित साही और राना अय्यूब से उनके कार्यकाल में कृषि नीतियों पर काफी लंबी बात की. साक्षात्कार के अंश यूपीए सरकार के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन यूपीए जब सत्ता...
More »पोस्को ने घोषित किया श्रमिकों को आर्थिक पैकेज
भुवनेश्वर। विभिन्न स्तर पर विरोध का शिकार तथा जमीन अधिग्रहण के साथ अन्य कई विंवादों के चलते अधर में लटके पोस्को द्वारा श्रमिकों के लिए पहली बार पोस्को कंपनी द्वारा अर्थनैतिक पैकेज तैयार किया गया है। प्रस्तावित पोस्को इलाके में स्थित पान की खेती में लिप्त किसानों के लिए पोस्को द्वारा प्रस्तावित इस्पात कारखाना इलाके में विस्तृत पान की खेती है, जिसमें लगभग 1 हजार भूमिहीन श्रमिक मजदूरों के तौर पर काम कर रहे है। संपृक्त...
More »नैनो परियोजना क्षेत्र पर खेती शुरू
सिंगूर। पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा की लखटकिया नैनो कार परियोजना लगने से पहले ही उखड़ जाने के बाद अब वहां स्वेच्छा से जमीन देने वाले ज्यादातर किसानों ने परियोजना क्षेत्र की अपनी जमीन पर खेती फिर शुरू कर दी है। किसान काफी समय तक इस उम्मीद में अपने पारंपरिक पेशे से दूर रहे कि सिंगूर से हटने की टाटा समूह की घोषणा के मद्देनजर वहां औद्योगीकरण के लिए कोई सार्थक पहल होगी।...
More »जमीन नहीं लौटाने के बहाने ढूंढ रहे बुद्धदेव
नई दिल्ली [टी. ब्रजेश]। नंदीग्राम से सिंगुर तक लगातार अपनी भूमि अधिग्रहण नीति का बचाव करते रहे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को अब किसानों को जमीन लौटाने में अपनी पोल खुलने का डर सताने लगा है। यही वजह है कि किसानों को भूमि लौटाने के नाम पर उन्होंने अपने पैर खींचने की कोशिश भी शुरू कर दी है। वह इस संबंध में तमाम व्यावहारिक दिक्कतों का विवरण देते नहीं थक रहे हैं।...
More »