SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 536

सहकारी संघवाद के रास्ते पर- एम के वेणु

एनडीए सरकार ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अपने आक्रामक रुख में ठीक ही नरमी लाते हुए कहा है कि प्रस्तावित विधेयक पर चर्चा के लिए बुलाई गई नीति आयोग की बैठक में शामिल सभी मुख्यमंत्रियों के विचारों पर ध्यान दिया जाएगा। गौरतलब है कि इस विधेयक पर पहले ही संसद की काफी ऊर्जा खर्च हो चुकी है। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर काफी राजनीतिक आक्रामकता दिखाने (अब तक तीन बार अध्यादेश...

More »

गांवों की अनदेखी से विकास असंभव- उमेश चतुर्वेदी

उदारवादी अर्थव्यवस्था के इस दौर में भी भारतीय अर्थव्यवस्था यदि खेती-किसानी और उसके जरिये जीने वाले गांवों पर टिकी हुई है, तो मान लेना होगा कि हजारों वर्षों से चली आ रही भारतीयता की परंपरा अब भी बनी हुई है। आर्थिक नीतियों की कामयाबी और नाकामी का पैमाना अब अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों फिच और मूडी की रिपोर्टों और उनके आकलन के आधार पर तय होता है। हाल ही में मूडी...

More »

7.8 फीसद की रफ्तार से बढ़ेगा भारत : एडीबी

नई दिल्ली। देश की आर्थिक विकास दर को लेकर एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अपने अनुमानों को बनाए रखा है। गुरुवार को एडीबी ने दोबारा कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान भारत की विकास दर 7.8 फीसद बनी रहेगी। फिलहाल उसने चेतावनी दी है कि भूमि व टैक्सेशन संबंधी सुधारों में देरी से आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है। मार्च में जारी एशियाई विकास परिदृश्य की पूरक रिपोर्ट में 2015...

More »

भूमि अधिग्रहण : संसदीय समिति से ‘जानबूझकर’ गायब रहे अधिकारी

भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर गठित संसद की संयुक्त समिति में भाजपा और कांग्रेस समेत तमाम दलों के सदस्यों को हैरानी का सामना करना पड़ा। दरअसल, संसद की संयुक्त समिति की बैठक से कई मंत्रालयों के सचिव गायब रहे। इससे बैठक को टालना पड़ा। अब समिति के लिए 27 जुलाई तक रिपोर्ट देना असंभव हो गया। लिहाजा समिति के अध्यक्ष एस एस आहलूवालिया ने रिपोर्ट जमा करने के लिए तीन अगस्त तक...

More »

न्यूनतम सरकार अधिकतम शोषण- के सी त्यागी

श्रमिकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है। इसके विरुद्ध श्रमिकों ने समय-समय पर आवाज उठाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानून बने। मजदूर संगठित हुए, उन्हें अधिकार मिले, स्वतंत्रता मिली, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा। इसका असर हमने भारत में भी देखा। लेकिन नई औद्योगिक नीति और उदारीकरण का दौर परवान चढ़ने के साथ ही श्रमिक फिर शोषण का शिकार हुए। उनका सामाजिक दायरा घटा, अधिकार सिकुड़ते चले गए। इसी...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close