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मॉनसून के भरोसे खेती कब तक ?

बिहार में खरीफ की खेती अब भी वर्षा पर निर्भर है. सरकार हर साल कई करोड़ रुपये जल संसाधन पर खर्च करती है, लेकिन अब भी 93.6 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से केवल 56.03 लाख हेक्टेयर जमीन में ही शुद्ध रूप से खेती होती है और केवल 33.57 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि ही सिंचित है. मॉनसून अगर साथ दे, तो किसानों का सौभाग्य और अगर वह दगा दे, तो...

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पानी रोका तो बने करोड़पति

महाराष्ट्र का एक गांव है हिवरे बाजार. यह अहमदनगर जिले में है. यह गांव एक दशक पहले तक बीरान हो गया था. लोग भाग कर शहरों में मजदूर बन गये थे. खेतों में दरारें पड़ गयीं थी. कई एकड़ जमीन के मालिक भी दिहाड़ी मजदूर बन गये थे. आज यह गांव फिर से आबाद है. 216 परिवार इस गांव में रह रहे हैं. उनमें से 51 करोड़पति हैं. आधे से अधिक...

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यहां ग्राउंड वाटर का सबसे अधिक दोहन हो रहा, 310 मीटर और नीचे गया पानी

रांची. कांके, रातू और ओरमांझी ब्लॉक में ग्राउंड वाटर डेंजर जोन में पहुंच गया है। कांके में ग्राउंड वाटर का सबसे अधिक दोहन हो रहा है। इन क्षेत्रों में जितना पानी जमीन के अंदर पहुंच रहा है, उससे अधिक निकाला जा रहा है। शहरी क्षेत्र में भी पिछले चार वर्षों में ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है। हिनू सहित दर्जनों एरिया में वाटर लेवल पांच से 10 मीटर...

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उत्तराखंड की चेतावनी- अपूर्व जोशी

जनसत्ता 26 जून, 2013: उत्तराखंड में आई भारी विपदा पर लिखने बैठा, तो एकाएक बाबा नागार्जुन याद आ गए, अपनी एक कविता के जरिए- ताड़ का तिल है/ तिल का ताड़ है/ पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है/ किसकी है जनवरी/ किसका अगस्त है/ कौन यहां सुखी है/ कौन यहां मस्त है/ सेठ ही सुखी है। सेठ ही मस्त है/ मंत्री ही सुखी है/ मंत्री ही मस्त है/...

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निजी कंपनियों के हवाले मौसम!

भारत की आधी से ज्यादा आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है और कृषि मॉनसून पर. देश की कुल कृषि भूमि का 55 प्रतिशत वर्षा जल पर निर्भर है. लेकिन अभी तक मॉनसून के पूर्वानुमान के शास्त्र को पूरी तरह साध पाने में सफलता नहीं मिली है. पिछले साल सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि पिछले चार साल से भारतीय मौसम विभाग के मॉनसून के पूर्वानुमान के आंकड़े वास्तविकता...

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