नई दिल्ली, [अंशुमान तिवारी]। वित्त मंत्री के धमकाने पर विकास दर का आंकड़ा भले ही बदल जाए, लेकिन हकीकत बदलने वाली नहीं है। भारत के आर्थिक विकास की गति व्यावहारिक रूप से अब साठ-सत्तर के दशक वाली स्थिति में पहुंच गई है। विकास दर में से अगर विदेश व्यापार और विदेशी पूंजी को हटा दिया जाए तो देशी अर्थव्यवस्था पांच फीसद भी नहीं, बल्कि केवल 3 से 3.5 फीसद की दर से...
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नकद पैसे का खेल- बनवारी
जनसत्ता 14 फरवरी, 2013: मनमोहन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि गरीबी एक आर्थिक और राजनीतिक समस्या के बजाय अब केवल वित्तीय समस्या रह गई है। केंद्र सरकार की प्राथमिक चिंता अब न बेरोजगारी है, न महंगाई। देश की इन दो सबसे बड़ी समस्याओं से मुंह चुराने का उसने एक आसान उपाय निकाल लिया है। देश के गरीब लोगों के हाथ में दमड़ी रख दो; इससे सरकार के कल्याणकारी...
More »प्रतिरोध का कारवां- भारत डोगरा
जनसत्ता 7 नवंबर, 2012: यूपीए सरकार ने जिस तरह खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश को आगे बढ़ाने की जिद पकड़ी है उसकी ठीक ही व्यापक आलोचना हुई है। कोई ठोस प्रमाण दिए बिना ही सरकार ने कह दिया कि इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। कुछ समय के लिए खुदरा में बहुराष्टÑीय कंपनियों का प्रवेश जरूर चकाचौंध उत्पन्न कर सकता है, पर शीघ्र ही यह स्पष्ट...
More »आईएसी और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प, कई घायल
कानपुर। फर्रुखाबाद में केजरीवाल की रैली के पहले इंडिया अगेंस्ट करप्शन और कांग्रेसी कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। खबर आ रही है कि झड़प में कई लोग घायल हुए हैं। यहां मौजूद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में केजरीवाल का विरोध किया। इससे पहले फर्रुखाबाद जाते वक्त इंडिया अगेंस्ट करप्शन के वरिष्ट सदस्य अरविंद केजरीवाल का जिले में कई जगह जोरदार स्वागत हुआ। वहीं कन्नौज में केजरीवाल के काफिले को काले झडे दिखाने पहुंचे...
More »भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का कठिन दौर-सुरेंद्र किशोर
जनसत्ता 22 अक्टुबर, 2012: भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर भी देश का लगभग पूरा राजनीतिक वर्ग आरोपितों का इन दिनों अतार्किक ढंग से बचाव करता नजर आ रहा है। कोई दल या नेता अपनी कमी या गलती मानने को आज तैयार नहीं है। सुधरने का तो कहीं से दूर-दूर तक कोई संकेत नहीं। इससे भी, भ्रष्टाचार की समस्या की गंभीरता का पता चलता है। देश के अधिकतर नेताओं के ताजा रुख...
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