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गुजरात: वनवासी कल्याण के लिए 15 हजार करोड़

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सदियों से वनों में निवास करने वाली जनजातियों को वनभूमि पर मालिकाना हक देने के केंद्र सरकार के कानून की तरफदारी करते हुए गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह वनवासियों के कल्याण पर 15 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। यही नहीं, राज्य सरकार ने वनों में निवास करने वाले जनजातीय लोगों को जनस्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, अधिकार, स्वच्छता और अनाज वितरण की सरकारी योजना [पीडीएस] का लाभ...

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जमीन नहीं लौटाने के बहाने ढूंढ रहे बुद्धदेव

नई दिल्ली [टी. ब्रजेश]। नंदीग्राम से सिंगुर तक लगातार अपनी भूमि अधिग्रहण नीति का बचाव करते रहे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को अब किसानों को जमीन लौटाने में अपनी पोल खुलने का डर सताने लगा है। यही वजह है कि किसानों को भूमि लौटाने के नाम पर उन्होंने अपने पैर खींचने की कोशिश भी शुरू कर दी है। वह इस संबंध में तमाम व्यावहारिक दिक्कतों का विवरण देते नहीं थक रहे हैं।...

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नक्सली घटनाओं से थर्राता रहा छत्तीसगढ़

रायपुर। बहुमूल्य खनिज संपदा्र हरे भरे वनों और सीधे सरल आदिवासियों वाला छत्तीसगढ़ राज्य इस साल भी नक्सली घटनाओं से थर्राता रहा। राज्य में नक्सली साल भर उत्पात मचाते रहे और इस दौरान उन्होंने यहां के काबिल पुलिस अधीक्षक समेत 235 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि अब केन्द्र के सहयोग से राज्य नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान शुरू करने की स्थिति में है। नक्सल समस्या के कारण 44 फीसदी वनों...

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डुबकी लगाने लायक भी नहीं है गंगा

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। तारने वाली गंगा के पानी के मारक होने पर बहस हो सकती है मगर एक बात तय है कि अब गंगाजल आचमन तो छोड़िए नहाने लायक भी नहीं है। भागीरथी के दामन से प्रदूषण के दाग धोने पर अरबों रुपया बहाने के बावजूद सरकार के तथ्य बताते हैं कि कि गंगोत्री से लेकर डायमंड हार्बर के बीच अधिकतर स्थानों पर गंगा जल से दूर ही रहने में भलाई है। ...

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ये बेहाल सूरतें लेकिन गहरी नींद में है समाज

छपरा [कृष्णकांत]। 'खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो..।' बहुत दुश्मन दौर के गहरे धंसी टीस का बेतरतीब बयान है यह गीत- फिल्म 'खिलौना' का। गाना मशहूर अभिनेता स्व. संजीव कुमार पर फिल्माया गया था-जो अब रीयल लाइफ में भी कई ऐसे लोगों पर घट रहा है, जिनकी रातें बेचैनियों में कटीं। वे सुखिया नहीं है कि खाते और सोते। दुखिया है इसलिए कि जाग गये, जान गये। अब रो-रो कर असहज...

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