SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 10137

नक्सली दहशत : गांव है पर रह नहीं सकते, खेत है पर बो नहीं सकते

राजेश शुक्ला, कांकेर। गांव है, पर रह नहीं पाते। खेत है, पर जोताई नहीं कर पाते। रिश्तेदार हैं, पर उनके साथ रहकर दुख-सुख नहीं बांट पाते। यह हाल है अनिल, चंद्रूराम, रामप्रसाद, बंसीलाल जैसे सैकड़ों किसानों का, जो नक्सली दहशत के चलते अपना गांव, घर-द्वार छोड़कर कई साल से दूसरे गांव में बसे हुए हैं। इनका इससे भी बड़ा दर्द यह है कि आज जब छत्तीसगढ़ सरकार धान बोनस बांट रही...

More »

आधार पर अदालत की सुनें-- रीतिका खेड़ा

यदि आप आत्मविश्वास के साथ कह सकते हैं कि आधार से आपकी जिंदगी आसान हुई है, और ऐसी सरकारी सुविधाएं प्राप्त हुई हैं, जिनसे आप पहले वंचित थे, तो आप किसी ‘लुप्तप्राय प्रजाति' से कम नहीं, क्योंकि आज कल हर तरफ, आधार-त्रस्त लोग ही मिलेंगे। शायद आपको रोज फोन पर संदेश आ रहे होंगे-बैंक से और मोबाइल से आधार लिंक कीजिए। उससे पहले, आयकर भरते समय लोगों को काफी परेशानी...

More »

नोटबंदी से टूटी है खेती की कमर, बड़े कदम उठाए बिना नहीं बनेगी बात

गुजरे साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1,000 रुपए और 500 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान कर दिया था. इस फैसले से देश की 86 फीसदी करेंसी अचानक से सिस्टम से बाहर हो गई. इस कदम का मकसद अर्थव्यस्था में मौजूद कालेधन का पता लगाना और इसे खत्म करना था. इसके जरिए देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का भी लक्ष्य रखा गया था. हालांकि, इस उपाय...

More »

नोटबंदी@एक साल: जो पहले 2 महीनों में हुआ, अकेले वही न भूलने वाली त्रासदी है- ज्यां द्रेज

विकास अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज नरेंद्र मोदी सरकार की पिछले साल 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने के फैसले के मुखर आलोचक हैं. उन्होंने चेतावनी दी थी कि 'फलती-फूलती अर्थव्यवस्था में नोटबंदी रेसिंग कार के टायर में गोली मारने जैसा साबित होगा.' एक साल बाद ऐसा लगता है कि उनकी चेतावनी सही साबित हुई है. मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर तीन साल के निचले स्तर...

More »

आर्थिक सुधारों की कठिन राह पर-- एन के सिंह

आर्थिक फैसले पूरी स्फूर्ति से लिए जा रहे हैं। भले ही अभी हम नोटबंदी और जीएसटी की बहस में उलझे हुए हों, मगर हाल ही में सरकार ने अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए कई आर्थिक उपायों की घोषणा की है। ये कई लक्ष्यों को हासिल करने के इरादे सेप्रेरित हैं।   एक कहावत है कि बुराई को मजबूती तब मिलती है, जब हम कोई फैसला नहीं कर पाते या दूसरों...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close