कमजोर मानसून एवं फरवरी-मार्च में बेमौसम बरसात के चलते भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2014-15 फसल वर्ष में अनुमानित 4.66 प्रतिशत घटकर 25 करोड़ 26 लाख व 80 हजार टन रहा। फसल वर्ष 2013-14 (जुलाई-जून) में देश में खाद्यान्न की पैदावार 26 करोड़ 50 लाख 40 हजार टन रहा था। खाद्यान्न भंडार में मुख्य हिस्सा गेहूं, चावल, मोटे अनाज और दालों का होता है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि देश...
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हादसों की रफ्तार बनाम सुरक्षा की पटरी- प्रमोद भार्गव
भारतीय रेल परिवहन तंत्र विश्व का सबसे बड़ा व्यावसायिक प्रतिष्ठान है, पर विडंबना है कि यह किसी भी स्तर पर विश्वस्तरीय मानकों को पूरा नहीं करता। हां, इसे विश्वस्तरीय बनाने का दम जरूर सरकारें लंबे समय से भरती रही हैं। हर बजट में रेल परिवहन को विश्व मानकों के अनुरूप बनाने की बढ़-चढ़ कर घोषणाएं होती हैं, लेकिन उन पर जमीनी अमल दिखाई नहीं देता। जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी...
More »मूडीज ने सूखे की आशंका से जोड़ी भारत की रेटिंग
नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारती की रेटिंग को सूखे की आशंका से जोड़ दिया है। उसका कहना है कि भारत इस साल सूखे की चपेट से बच सकता है। लेकिन, भविष्य में सूखा पड़ने या बारिश में कमी की आशंका से देश के सॉवरेन क्रेडिट पर दबाव बन सकता है। मूडीज का मानना है कि भारत में मानसून की चिंता एक हद तक कम हो गई है, लेकिन...
More »भूमि अधिग्रहण से डरते हैं किसान-- तवलीन सिंह
जब भी कृषि से जुड़ी किसी समस्या पर लिखना होता है, तब मैं अपने भाई के साथ सलाह-मशविरा करती हूं। मेरे भाई की गिनती बड़े किसानों में होती है, लेकिन खेती से उसको तभी थोड़ा-बहुत पैसा वसूल हुआ, जब करनाल शहर के दिन-ब-दिन फैलते दायरे से उसकी जमीन के कुछ हिस्से शहरी घोषित हुए और अचानक कीमत बढ़ गई। वर्ना गुरबत के बीच गुजरी है मेरे भाई की जिंदगी। एक...
More »बेपटरी होता हमारा रेल बंदोबस्त - अरविंद कुमार सिंह
कामायनी और जनता एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने से हुई भीषण दुर्घटना ने एक बार फिर से रेल सुरक्षा की दयनीय दशा पर देश का ध्यान खींचा है। रेलवे इसका प्रथमदृष्टया कारण भारी बारिश से आई बाढ़ बता रहा है। राहत और बचाव का काम यहां और दुर्घटनाओं की तुलना में बेहतर रहा। स्थानीय ग्रामीणों और राज्य सरकार ने काफी चुस्ती दिखाई, अन्यथा मौतों का आंकड़ा अधिक होता। हादसा...
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