नदियों के तट पर सभ्यताएं तो विकसित होती ही हैं, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था वहां की नदी और उसमें उपलब्ध के उचित प्रबंधन पर ही निर्भर होती है. खासकर भारत जैसे देश में जब मॉनसून दगा दे जाये, तो नदियों और नहरों का पानी ही किसानों का सहारा होता है. प्रकृति ने भारत को विशाल नदियों की नेमत बख्शी है. इसमें बड़ी से छोटी नदियां तक शामिल हैं. कई...
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किशोरों में बढ़ती आत्महत्याएं- अंजलि सिन्हा
कोटा के कोचिंग संस्थानों में तनावग्रस्त बच्चों तथा इनमें से कुछ के आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने की खबरों के बीच तथा शेष समाज में इसके प्रति व्यक्त की जा रही चिंताओं के चलते कोटा शहर के 40 कोचिंग संस्थानों ने मिल कर चौबीस घंटे की हेल्पलाइन सेवा शुरू की है, जो परेशान छात्रों की काउंसेलिंग करेगी. निश्चित ही ऐसी सेवा शुरू होने से छात्रों को शेयरिंग का एक...
More »फसल की बरबादी से आपा खोने लगे किसान
धमतरी(ब्यूरो)। सूखे की मार झेल रहे किसानों के सब्र का बांध टूटने लगा है। बारिश न होने से फसलों की बरबादी और कर्ज से परेशान किसानों ने अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। धमतरी में शुक्रवार को महानदी मुख्य नहर में उतरकर किसानों ने प्रदर्शन किया और नहर से सिंचाई के लिए पानी छोड़ने की मांग बुलंद की। खेतों में मरती फसल को देखकर खून के आंसू रो रहे...
More »जीएसटी की कसौटी पर- पार्थ उपाध्याय
संसद का सत्र लोक-अपेक्षाओं को पूर्ण करने का एक मंच होता है। संवैधानिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ही सरकार संविधान में संशोधन, परिवर्धन और परिवर्तन करती है। विपक्ष भी जन-आकांक्षाओं पर सरकार को काम करने के लिए बाध्य करने का एक माध्यम है। पर कांग्रेस की हठधर्मिता के कारण विपक्ष की यह भूमिका फिलहाल कमजोर हुई दिखती है। लगभग सत्रह हजार नागरिकों ने अपने हस्ताक्षरों के साथ अपील जारी की...
More »कुंवारों से ज्यादा शादीशुदा लोग करते हैं आत्महत्या!
इंदौर : आधुनिक भारतीय समाज की जीवनशैली ऐसी हो गयी है कि लोग दबाव में अपना जीवन जीते हैं, परिणाम यह हो रहा है कि खुदकुशी के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. इसमें सर्वाधिक चौंकाने वाली बात यह है कि कुंवारों की तुलना में शादीशुदा लोग ज्यादा आत्महत्या करते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2014 में अपने जीवन का खुद अंत करने वालों...
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