आम बजट को 'कामचलाऊ', 'लोकलुभावन' और 'ऐतिहासिक' जैसी संज्ञाएं दी जा रही हैं. लेकिन, इसे न तो पूरी तरह से लोगों के अलग-अलग तबकों को तुष्ट करने के इरादे से लाया गया है, और न ही इसमें आर्थिक सुधारों को गति देने की कोई ठोस पहल की गयी है. सरकार ने गांव और गरीब पर फोकस तो किया है, पर और बेहतर की गुंजाइश बनी हुई है. बजट के विभिन्न...
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नोटबंदी से परेशान निम्न-मध्यम वर्ग व छोटे उद्यमियों को वित्त मंत्री ने की साधने की कोशिश-- राजेन्द्र तिवारी
धूम-धड़ाके वाली नोटबंदी से परेशान देश के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2017-18 के लिए निम्न व मध्यवर्ग को राहत देने वाला, सामाजिक व ग्रामीण क्षेत्र में आवंटन बढ़ाने और कृषि व किसानों के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने वाला बजट पेश किया. यह पहला ऐसा बजट है जिसमें योजना और गैर योजना की श्रेणी खत्म कर दी गयी और रेलवे अन्य विभागों की तरह ही इसमें शािमल किया गया. वित्त...
More »निजी निवेश में सुधार से बनेगी बात - राजीव चंद्रशेखर
बजट 2017 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और इसे लेकर उत्सुकता का भाव इतना अधिक है, जितना शायद मोदी सरकार के 2014 में आए पहले बजट के समय भी न रहा हो। यह बजट नोटबंदी के बाद और मोदी सरकार के सत्ता में आने के तकरीबन तीन साल पूरे होने के अवसर पर पेश होने जा रहा है। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बेहद विषम परिस्थितियों में...
More »बजट 2016-17 : बजट से उम्मीदें कुछ ठोस सी
नोटबंदी के बाद यह सबसे बड़ा आर्थिक अनुष्ठान है. इससे जनता को बहुत उम्मीदें हैं. उम्मीदें इसलिए हैं कि नोटबंदी के बाद जनता काफी परेशानी से गुजरी है. यह ठीक है कि नोटबंदी,नकद-न्यूनतम अर्थव्यवस्था भविष्य में अर्थव्यवस्था का भला करेगी, पर फौरी तौर पर तो उसने आम जनता यानी रोज कमाने-खानेवाले लोगों को परेशान ही किया है. इसका असर भी दिखाई पड़ा है. तमाम संगठनों ने 2016-17 के आर्थिक विकास...
More »छोटे उद्योगों पर हो टैक्स की छूट-- डा. भरत झुनझुनवाला
देश में रोजगार की स्थिति यूपीए के कार्यकाल से ही बिगड़ती आ रही है. लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2011 में 9 लाख रोजगार उत्पन्न हुए थे. वर्ष 2013 में यह 4 लाख रह गया. वर्ष 2015 में मात्र 1,35,000 रोजगार उत्पन्न हुए. वर्तमान में रोजगार सृजन की बिगड़ती स्थिति का संकेत छोटे उद्योगों के हालात से मिलता है. देश में अधिकतम रोजगार छोटे उद्योगों में ही उत्पन्न...
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