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कोरोना वायरसः क्या सामान्य ज़िंदगी जीने के दिन लौट आए?

-बीबीसी, सरकार और मीडिया क्या कोरोना वायरस को लेकर ज़रूरत से ज़्यादा गंभीरता दिखा रहे हैं? क्या अब हमें आगे एक सामान्य जीवन की ओर बढ़ जाना चाहिए? - ये बड़े सवाल हैं. अर्थव्यवस्था की बुरी हालत को देखते हुए इस पर कुछ गौर करने की ज़रूरत है. यहां कुछ सकारात्मक बातें करते हैं. इससे कोविड-19 ख़त्म हो चुका है- जैसी सोशल मीडिया पर आजकल खूब दिखने वाले वाली राय को प्रोत्साहित...

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वो सुधा भारद्वाज, जिनके बारे में सरकार नहीं चाहती कि आप ज्यादा जानें

-न्यूजलॉन्ड्री,  दिसंबर 2019 में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक दूषित जल शोधन संयंत्र में काम करने वाले राजकुमार साहू ने 1000 किलोमीटर की दूरी तय करके पुणे जेल में बंद 59 वर्षीय वकील सुधा भारद्वाज से मुलाकात की. पुलिस द्वारा कोर्ट लाए जाते समय कुछ पलों की भेंट के लिए इतनी लंबी यात्रा का क्या औचित्य है, इसे समझाते हुए 50 वर्षीय साहू ने बताया, "वे केवल हमारी यूनियन की...

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भारतीय अर्थव्यवस्था के-शेप्ड रिकवरी की तरफ बढ़ रही है, ऐसा होना भारत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा

-द प्रिंट, जैसे ही यह खबर आई कि दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था आज दुनिया की सबसे तेजी से सिकुड़ रही अर्थव्यवस्था बन गई है, चारों तरफ से तरह-तरह की टिप्पणियां आने लगीं. इन टिप्पणियों में सबसे गौरतलब यह थी कि भारत की आर्थिक वृद्धि की क्षमता 6 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत की हो गई है. कुछ अरसे से यह स्पष्ट हो गया था कि भारत को कोविड-19 के...

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एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे

एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...

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अन्ना चांडी: भारत में हाईकोर्ट की पहली महिला जज

-बीबीसी, साल था 1928, त्रावणकोर राज्य में इस बात को लेकर बहस तेज़ थी कि महिलाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं. इस मुद्दे पर सबकी अपनी अपनी दलीलें थीं. इसी मुद्दे पर त्रिवेंद्रम की एक सभा में चर्चा हो रही थी. इस सभा में राज्य के जाने-माने विद्वान टी.के.वेल्लु पिल्लई शादीशुदा महिलाओं को सरकारी नौकरी देने के विरोध में भाषण दे रहे थे. तभी 24 साल की अन्ना चांडी...

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