इतिहास में जब किसी मोड़ पर मानव सभ्यता को अपने अस्तित्व के लिए एक नई दिशा की जरूरत पड़ी, तब यह युवा पीढ़ी ही है, जिसने बदलाव का बीड़ा उठाया। बतौर युवा इंसान में दो तरह के खास गुण होते हैं। पहला, उसमें इतनी स्फूर्ति या ऊर्जा होती है कि वह कुछ नया कर दिखाए। और दूसरा, तब तक जीवन में उसे इतनी ठोकरें नहीं मिली होतीं कि वह निराश...
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गंभीर होते खेती व रोजगार के सवाल - प्रदीप सिंह
लोकसभा चुनाव अभी सवा साल दूर हैं। इसे यों भी कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बस 16 महीने रह गए हैं। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में एक बड़ा फर्क होगा। तब कांग्रेस सत्ता में थी और उससे सवाल पूछे जा रहे थे। आज भाजपा सत्ता में है और उससे जवाब मांगा...
More »जेल सुधार का इंतजार-- पीयूष द्विवेदी
भारतीय समाज में जेल को लेकर अमूमन यही धारणा देखने को मिलेगी कि वह एक यंत्रणा-स्थल है, जहां अपराधी को उसके अपराधों के लिए तकलीफदेह तरीके से रख कर दंडित किया जाता है। इस धारणा को एकदम गलत तो नहीं कह सकते, मगर यह पूरी तरह सही भी नहीं है। निस्संदेह जेल में व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में ही रहना होता है, पर इसका यह अर्थ नहीं कि वह यंत्रणा-स्थल...
More »शिक्षा के 'उद्योग' में फीस नियंत्रण की रस्म अदायगी!
देशभर में आए दिन सामने आने वाले विवादों-मुद्दों में कम ही ऐसा होता है, जिस पर सभी एकमत हों! अपवाद का ऐसा ही एक आधार है-निजी स्कूलों की बेलगाम फीस। सभी एकमत हैं कि फीस बहुत ज्यादा है और इस पर नियंत्रण होना ही चाहिए। निजी स्कूलों की स्थिति समझने के लिए सबसे पहले कुछ संदर्भ। वर्ष 2010-11 से 2015-16 के बीच 20 राज्यों के सरकारी स्कूलों में 1 करोड़...
More »कैसे रुकेंगे सड़क हादसे-- देवेन्द्र जोशी
एक आकलन के मुताबिक आपराधिक घटनाओं की तुलना में पांच गुना अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है। कहीं बदहाल सड़कों के कारण तो कहीं अधिक सुविधापूर्ण अत्याधुनिक चिकनी सड़कों पर तेज रफ्तार अनियंत्रित वाहनों के कारण ये हादसे होते हैं। दुनिया भर में सड़क हादसों में बारह लाख लोगों की प्रतिवर्ष मौत हो जाती है। इन हादसों से करीब पांच करोड़ लोग प्रभावित होते हैं। भारत में...
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