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खाप पंचायतों का बढ़ता खौफ- सुभाष गताडे

नई दिल्ली [सुभाष गाताडे]। इंडियन नेशनल लोक दल के प्रधान ओम प्रकाश चौटाला और काग्रेस के युवा सासद नवीन जिंदल में क्या समानता ढूंढ़ी जा सकती है? अगर राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को देखें या उम्र का फासला देखें तो कुछ भी एक जैसा नहीं है। अलबत्ता खाप पंचायतों को लेकर दिए अपने ताजे बयान के बाद दोनों एक ही तरफ खड़े दिखाई देते हैं। पिछले कुछ समय से खाप पंचायतों की तरफ से एक मुहिम...

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जल संरक्षण और संवर्धन में 50 लाख को रोजगार

भोपाल। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार देने के लिए प्रदेश में चलाई जा रही रोजगार गारंटी स्कीम के तहत एक लाख 15 हजार से अधिक के जल संरक्षण और संवर्धन के कार्य किए गए है। इसमें 50 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार मिला है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि रोजगार गारंटी स्कीम के तहत ग्रामीणों को उपलब्ध कराए जा रहे रोजगार कार्यो से पिछले तीन वर्षो में पूरे प्रदेश...

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अभ्यारण्यों से दूर बसाए जाएंगे गांव

नई दिल्ली। बाघ अभयारण्यों के करीब बसे गांवों को दूर बसाने के काम में खामियों का पता लगाने और प्रक्रिया में तेजी लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने पांच समितियों का गठन किया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल में गांवों को बाघ वाले क्षेत्र से दूर बसाने के काम में तेजी लाने की अपील राज्यों से की थी। समितियों में वन्यजीव विशेषज्ञ और संरक्षक होंगे। उनसे बाघ अभ्यारण्यों से लोगों को अन्यत्र बसाने...

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जंगल से कटकर सूख गये मालधारी- शिरीष खरे

एशियाई शेरों के सुरक्षित घर कहे जाने वाले गिर अभयारण्य में बरसों पहले मालधारियों का भी घर था. ‘माल’ यानी संपति यानी पशुधन और ‘धारी’ का मतलब ‘संभालने वाले’. इस तरह पशुओं को संभाल कर, पाल कर मालधारी अपनी आजीविका चलाते थे. एक दिन पता चला कि अब इस इलाके में केवल शेर रहेंगे. फिर धीरे-धीरे मालधारियों को उनकी जड़ों से उखाड़कर फेंकने का सिलसिला शुरु हुआ. जंगल में मालधारी आज की...

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हरी वादियों का चितेरा

अस्सी के दशक की शुरुआत से ही एक अकेले व्यक्ति के शांत प्रयासों ने ऐसे ग्रामीण आंदोलन की नींव रखी जिसने उत्तराखंड की बंजर पहाड़ियों को फिर से हराभरा कर दिया। सच्चिदानंद भारती की असाधारण उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास किया संजय दुबे ने। (तहलका-हिन्दी से साभार) शायद ही कुछ ऐसा हो जो संच्चिदानंद भारती को उफरें खाल के बाकी ग्रामीणों से अलग करता हो। ये तो जब वो...

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