पैंतालीस साल पहले अलकनंदा घाटी के ग्रामीणों ने जब जंगल से पेड़ काटकर ले जाने वालों को रोका, तो किसी ने सोचा न होगा कि यहीं से चिपको आंदोलन की नींव पड़ने जा रही है। एक ऐसा किसान आंदोलन, जिसने भारत में वनों के व्यावसायिक दोहन पर सबका ध्यान खींचा। चिपको आंदोलन का ही यह असर था कि वनाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी। गढ़चिरौली, बस्तर, सिंहभूम और पश्चिमी घाट सहित...
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CBSE पेपर लीकः छात्रों-अभिभावकों के साथ ही शिक्षकों को भी झेलनी होगी परेशानी
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई की ओर से दसवीं की गणित और बारहवीं की अर्थशास्त्र की परीक्षा फिर से कराने की घोषणा से यही प्रकट होता है कि इन दोनों विषयों के प्रश्नपत्र न केवल लीक हो गए, बल्कि बड़े पैमाने पर वितरित भी कर दिए गए। यह तो समग्र जांच के बाद ही पता चलेगा कि यह आपराधिक कृत्य किसने और कितने बड़े पैमाने पर किया, लेकिन इसमें...
More »संघवाद पर लगी ताजा चोट--डॉ टीएम थॉमस इसाक
राजव्यवस्था का एक सामान्य सिद्धांत है कि वित्तीय संसाधनों का सबसे सही आवंटन सरकार का वह स्तर करता है, जो लाभुकों से सर्वाधिक निकटस्थ होता है, जबकि संसाधनों के बेहतरीन संग्रहण की अपेक्षा सरकार के उस स्तर से की जाती है, जो करदाताओं से सर्वाधिक सुदूर स्थित है. इसलिए सभी सहयोगात्मक संघीय व्यवस्थाओं में कराधान की शक्ति सामान्यतः केंद्र सरकार के पास केंद्रित रहती है, जबकि व्यय का भार...
More »इस स्वायत्तता से क्या होगा -- रोहित कौशिक
हाल ही में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जेएनयू, बीएचयू, एएमयू समेत देश के बासठ उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्तता देने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के अनुसार पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, इक्कीस राज्य विश्वविद्यालयों, चौबीस डीम्ड विश्वविद्यालयों तथा दो निजी विश्वविद्यालयों को अपने फैसले लेने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सरकार का दावा है कि इन संस्थानों की शैक्षिक गुणवत्ता बनाए रखने के...
More »आंकड़ों की हवस के मायने-- डा. गोपाल कृष्ण
गार्जियन और न्यूयॉर्क टाइम्स के मार्च 17 के फेसबुक घोटाले के खुलासे के बाद अमेरिकी कंपनी फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग को पिछले दो दिनों में 58,500 करोड़ रुपये के नुकसान, ब्रिटिश कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्यूनिकेशन लेबोरेटरीज की इकाई कैंब्रिज एनालिटिका की मानवीय आकड़ों की हवस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के प्राध्यापक एलेक्जेंडर कोगन की अनैतिकता की पराकाष्ठा और चुनावी लोकतंत्र में किसी भी हद तक जाकर सफलता पाने की लालसा...
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