SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 948

राजनीतिक एजेंडे में पर्यावरण क्यों नहीं-- नवरोज के दुबाश

भारत में पर्यावरण की हालत काफी भयावह है। इससे जुड़े आंकडे़ परेशान करने वाले हैं। मसलन, देश की हर पांच में से तीन नदियां प्रदूषित हैं। ज्यादातर ठोस कचरों का निस्तारण नहीं किया जाता; यहां तक कि देश के समृद्ध हिस्सों में भी नहीं। मुंबई में 90 फीसदी, तो दिल्ली में 48 फीसदी कचरों का निस्तारण नहीं हो पाता। फिर, देश की तीन-चौथाई आबादी उन हिस्सों में बसती है, जहां...

More »

पीएम-किसान सम्मान निधि योजना: आखिर किन किसान परिवारों को सहायता मिलेगी ?

‘पैसा ना कौड़ी, बीच बाजार में दौड़ा-दौड़ी’- क्या आपने कभी ये कहावत सुनी है? इस कहावत का ठीक-ठीक अर्थ समझना हो तो इस बार के अंतरिम बजट की एक खास घोषणा को गौर से पढ़िये! घोषणा हुई है कि दो हैक्टेयर तक की जोत वाले किसानों को सालाना आमदनी-सहायता के रुप में छह हजारे मिलेंगे, रुपया सीधा किसानों के बैंक-खाते में जायेगा. लेकिन क्या आपने अंतरिम वित्तमंत्री के अंतरिम बजट के हिसाब किताब पर...

More »

स्वच्छता अभियान के नारों के बीच महिला सफाईकर्मियों का जीवन- अमिता चतुर्वेदी

आगरा शहर के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सी नई कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है, जहां निजी स्तर पर सफाईकर्मी नियुक्त किए गए हैं, जिनमें कुछ महिला सफाईकर्मी भी शामिल हैं जो झाड़ू लगाने और कूड़ा उठाने का काम करती हैं. ये महिलाएं आगरा शहर के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बनी निजी कॉलोनियों में काम करती हैं. इन सफाईकर्मियों के स्वच्छता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम करने के...

More »

नागरिकता संशोधन विधेयक: मणिपुर के छात्र संगठनों ने राष्ट्रपति के बयान की निंदा की

इम्फाल: मणिपुर के तीन प्रमुख छात्र संगठनों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उस बयान की निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा था कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 से उन पीड़ितों को मदद मिलेगी जो उत्पीड़न के कारण भारत में आने को मजबूर हुए हैं. ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन (एएमएसयू), मणिपुर स्टूडेंट्स फेडरेशन (एमएसएफ) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स एलायंस ऑफ मणिपुर (डीईएसएएम) ने बीते एक फरवरी को कहा कि यदि विधेयक पारित हुआ...

More »

कैसे सालभर में तीन फैसलों ने एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों का विश्वास डिगा दिया

भारतीय सुप्रीम कोर्ट को एक ऐसे संस्थान के रूप में जाना जाता है जो कि ‘वीरतापूर्वक' नागरिक स्वतंत्रता की हिमायत करता है और एक उत्पीड़क सामाजिक ढांचे के विरुद्ध हाशिये पर पड़े सामाजिक वर्गों के रक्षक की भूमिका निभाता है. पिछले डेढ़ वर्षों की अवधि में इसने लोगों की निजता के अधिकार को मान्यता दी, एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को स्वीकार किया और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close