हमारे देश में पहले और आज की राजनीति में कितना फर्क आ गया है। पहले देश की राजनीति एक बड़ी हद तक मूल्यों पर चलती थी। राजनीतिक दल और मतदाता दोनों ही कहीं न कहीं नैतिकता व आदर्शों का पालन कर राजनीतिक गरिमा बनाए रखते थे। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब राजनीतिक दल चुनावों के समय जिस तरह मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक-लुभावन घोषणाएं करते...
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रोजी-रोजगार का हाहाकार-- अनिल रघुराज
बिगाड़ना बड़ा आसान है, बनाना बहुत मुश्किल. इसी तरह रोजगार मिटाना बहुत आसान है, जबकि रोजगार बनाना बहुत मुश्किल. अगर ऐसा न होता, तो हर साल दो करोड़ नये रोजगार पैदा करने का वादा करनेवाली मोदी सरकार अपने आधे कार्यकाल तक कम-से-कम पांच करोड़ रोजगार तो पैदा ही कर चुकी होती. लेकिन, सरकार का श्रम ब्यूरो बताता है कि देश में रोजगार देनेवाले आठ प्रमुख उद्योग क्षेत्रों में अप्रैल से...
More »राजनीतिः नगालैंड में महिला आरक्षण की गुत्थी-- दिनकर कुमार
नगालैंड की राजनीति में महिलाओं की अनुपस्थिति को अच्छी तरह महसूस किया जा सकता है। साठ सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए आज तक एक भी महिला नहीं चुनी जा सकी है। अब तक बस एक बार किसी महिला को सदन में पहुंचने का मौका मिला। उनका नाम रानो एम शाइयिजा था, जो 1977 में लोकसभा के लिए चुनी गई थीं। नगालैंड की राजनीति में महिलाओं की नगण्य उपस्थिति एक बार...
More »एक आइडिया से बदहाल गांव बना खुशहाल
मिसाल : लापोड़िया गांव के लक्ष्मण अब तक लगा चुके हैं 60 लाख से ज्यादा पेड़ पिछले दिनों एक्सएलआरआइ,जमशेदपुर ने सामाजिक उद्यमिता पर तीन दिनों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था. इस सम्मेलन में देशभर के 100 से ज्यादा सामाजिक उद्यमियों ने हिस्सा लिया था. इसी कार्यक्रम में भाग लेने लक्ष्मण सिंह भी आये थे, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए लगभग 300 एवार्ड मिल चुके हैं. जानिए इस...
More »लानत है ऐसे अस्पताल और ऐसी व्यवस्था पर-- अनुज कुमार सिन्हा
इन दाे खबराें आैर एक पत्र काे पढ़िए. पहली खबर : राजधानी रांची में एक पिता अपने बीमार बेटे के इलाज के लिए अस्पताल-अस्पताल घूमता रहा. पैसे नहीं थे. पिता गिड़गिड़ाता रहा. अस्पताल ने इलाज नहीं किया. बेटे की माैत हाे गयी. दूसरी खबर : राजधानी रांची के एक स्कूल के एक छात्र ने पेट्राेल छिड़क कर आग लगा कर जान देने का प्रयास किया, क्याेंकि पढ़ाई के दबाव से वह...
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