वर्ष 1984 में हुए सिख-विरोधी नरसंहार के पीड़ितों और भुक्तभोगियों को न्याय दिलाने के लिए भारत सरकार कितनी गंभीर है? यह ऐसा प्रश्न है, जिसे जानने के लिए सभी भारतीयों को उत्सुक होना चाहिए, क्योंकि इससे यह बात स्पष्ट हो जायेगी कि इस देश में बड़े पैमाने पर होनेवाली हिंसा के मामले में पीड़ितों को कभी न्याय मिल पायेगा या नहीं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मचे...
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सुधारों को रफ्तार देने का अवसर - संजय गुप्त
इस बार एक फरवरी को जब केंद्रीय वित्त मंत्री आम बजट पेश करेंगे तो यह दो कारणों से एक ऐतिहासिक क्षण होगा। एक तो मोदी सरकार ने दशकों पुरानी परंपरा को समाप्त कर आम बजट को फरवरी के अंतिम सप्ताह के बजाय पहले सप्ताह में पेश करने का निर्णय लिया है और दूसरे, रेल बजट को आम बजट में ही समाहित करने का फैसला किया है। रेल बजट को आम...
More »बजट 2016-17, उम्मीदें और संभावनाएं : सरकार को पॉपुलिस्ट होने से बचना होगा
नोटबंदी के बाद क्रय-विक्रय की गति मंद पड़ने से बाजार और अंतत: अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है. ऐसे में केंद्रीय बजट का जोर अर्थव्यवस्था को गति देने पर भी होगा, ऐसी संभावना है. इसके अलावा निजी पूंजी निवेश के लिए नये सेक्टरों पर फोकस भी करना होगा, ताकि रोजगार का सृजन हो सके. आज पढ़िए तीसरी किस्त. जिस तरह से बीते कुछ वर्षों में नौकरियों में कमी देखी...
More »बजट में यूनिवर्सल बेसिक इनकम पेश कर गरीबों को साध सकती है मोदी सरकार
नयी दिल्ली : चुनावी मौसम में पेश होने वाली बजट के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम का तोहफा देकर देश के गरीबों को साधने का प्रयास कर सकती है. हालांकि, इसके पहले भी मोदी सरकार गरीबों को साधने कई लोकलुभावनी योजनाएं पेश कर चुकी है, लेकिन अन्य योजनाओं की तरह गरीबों के कल्याण के लिए सरकार की ओर से पेश की गयी योजनाएं भी समय के साथ...
More »पूंजी खर्च की कमी से आर्थिक सुस्ती-- भरत झुनझुनवाला
एनडीए सरकार को आसीन हुए लगभग तीन वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। विकास दर लगभग 7 प्रतिशत पर शिथिल रही है। आगामी बजट यह तय करेगा कि अगले दो वर्षों में विकास दर इसी प्रकार शिथिल बनी रहेगी अथवा गतिमान हो जायेगी। विकास प्रक्रिया निवेश आधारित होती है। जैसे रिक्शे वाला बचत करके उस रकम का निवेश आटो रिक्शा खरीदने में करे तो उसका आर्थिक विकास होता है। तुलना में...
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