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कुरदती आपदाओं से मौत में बिहार अव्वल, आपदाओं पर केंद्र बना कंजूस

-इंडिया टूडे, देश में 2019 में प्राकृतिक आपदाओं की 19 घटनाएं हुईं और उनमें कुल 1500 से अधिक लोगों की मौत हुई. इन मौतों में से करीब 63 फीसद मौतें भारी बरसात और बाढ़ आने की वजह से हुई हैं. भारत के पर्यावरण पर सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायर्नमेंट की 2020 की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. 4 जून को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राकृतिक आपदाओं में...

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निजी अस्पताल में सरकारी पैसे से इलाज की छूट लेकिन निजी परिवहन से यात्रा करने पर सरकारी लाभ से वंचित

-जनचौक, पिछले तीन माह में यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने में सरकार लगभग हर मोर्चे पर असफल रही है। न केवल सरकार कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ते फैलाव को रोकने में असमर्थ रही है बल्कि उसके ही कारण देश के अधिकाँश लोगों को संभवतः सबसे बड़ी अमानवीय त्रासदी झेलनी पड़ी है। सरकार की असंवेदनशील, अल्प-कालिक और संकीर्ण सोच के कारण करोड़ों लोगों के...

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मजबूर मजदूरः कुलीनों का नैतिक अर्थशास्त्र और प्रवासी

-इंडिया टूडे, ''अनिवार्य गतिविधियों को छोड़कर बाकी व्यक्तियों के लिए आवाजाही शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक ‘कठोरता से प्रतिबंधित’ रहेगी...’’ —गृह मंत्रालय का परिपत्र, इंडिया टुडे (17 मई) की रिपोर्ट के अनुसार परिपत्र ने 'सवारी वाहनों और बसों के अंतर-राज्यीय आवागमन की अनुमति देकर प्रवासी मजदूरों को राहत’ प्रदान की (यदि दो पड़ोसी राज्य इसके लिए राजी हों). लेकिन राजमार्गों पर पैदल चलते जा रहे लाखों लोगों के बारे में...

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कोरोना वायरस संकट: अगले एक महीने में क्या हो सकता है?

-सत्याग्रह,  केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के चलते घोषित लॉकडाउन का पांचवां चरण शुरू हो गया. इसके लिए जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक कंटेनमेंट जोन में 30 जून तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है. बाकी इलाकों में चरणबद्ध तरीके से परिवहन से लेकर शिक्षण तक वे तमाम गतिविधियां फिर से शुरू की जाएंगी जिन पर पाबंदी लगी हुई थी. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश भर में...

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इंटरव्यू / सरकार को लॉकडाउन से पहले प्रवासी मजदूरों को घर भेजना चाहिए था, रिवर्स माइग्रेशन से अब वे देर से लौटेंगे, लेकिन लौटेंगे जरूर: प्रो. चिन्मय तुंबे

-भास्कर, दुनियाभर में माइग्रेशन के लिए चर्चित किताब ‘इंडिया मूविंग: अ हिस्ट्री ऑफ माइग्रेशन’ के लेखक और आईआईएम अहमदाबाद में प्रोफेसर चिन्मय तुंबे से इस वक्त कई राज्य सरकारें माइग्रेंट्स को लेकर पॉलिसी मेकिंग में एडवोकेसी-कंस्लटेंसी ले रही हैं। तुंबे का मानना है कि कोविड-19 के चलते बेशक दुनियाभर में लॉकडाउन हुआ, लेकिन पूरी दुनिया में माइग्रेंट्स के साथ ऐसा बुरा कहीं नहीं हुआ, जैसा भारत में हुआ। माइग्रेशन के विभिन्न पहलुओं...

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