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शुभ संकेत नहीं है कोरोना के 10 लाख मामले और लॉकडाउन की वापसी

-न्यूजक्लिक, देश में कोरोना संक्रमण को लेकर लड़ाई एक कठिन दौर में पहुंच गई है। राज्य सरकारों के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में कोविड-19 के मामलों की संख्या बृहस्पतिवार को दस लाख के पार चली गयी, वहीं संक्रमण से अब तक 25 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। दुनियाभर में संक्रमण के मामलों की संख्या के लिहाज से भारत का स्थान अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरा...

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जातिगत भेदभाव को लेकर कब ख़त्म होगा भारतीयों का दोहरापन

-द वायर, ‘जाति समस्या- सैद्धांतिक और व्यावहारिक तौर पर एक विकराल मामला है. व्यावहारिक तौर पर देखें तो वह एक ऐसी संस्था है जो प्रचंड परिणामों का संकेत देती है. वह एक स्थानीय समस्या है, लेकिन एक ऐसी समस्या जो बड़ी क्षति को जन्म दे सकती है. जब तक भारत में जाति अस्तित्व में है, हिंदुओं के लिए यह संभव नहीं होगा कि वह अंतरजातीय विवाह करें या बाहरी लोगों के...

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कोरोना वायरस: उत्तर प्रदेश में 55 घंटे के 'लॉकडाउन' के क्या हैं मायने, क्या बंद और क्या खुला रहेगा?

-बीबीसी, भारत में सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी का कहना है कि शुक्रवार की रात से सोमवार सुबह तक प्रदेश में लागू किए जाने वाला प्रतिबंध 'लॉकडाउन' नहीं है. उनके अनुसार ये 'सिर्फ़ रेस्ट्रिक्शन' हैं या यूँ कहा जाये कि एहतियात के तौर पर उठाया गया क़दम हैं, जिससे ना सिर्फ़ कोरोना वायरस, बल्कि डेंगू, कालाज़ार, इन्सेफ़ेलाइटिस और मलेरिया जैसे रोगों के संक्रमण को फैलने से...

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उत्तर प्रदेश भारत की कमजोर कड़ी है, इसे चार या पांच राज्यों में बांट देना चाहिए

द प्रिंट,  आखिर उत्तर प्रदेश ने हमें कोरोना महामारी और चीनी घुसपैठ की ‘सातों दिन 24 घंटे’ खबरों से थोड़ी राहत दिला दी. अब उलझन यह है कि उसे शुक्रिया कहें या न कहें? क्योंकि संदर्भ उतना ही चिंताजनक है. जितना जानलेवा महामारी के खतरे का या घुसपैठ पर उतारू एक पड़ोसी का हो सकता है. एक आदमी को एक ऐसे कथित ‘एनकाउंटर’ में मार डाला गया है जिसे इतने भद्दे...

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एक नागरिक के तौर पर प्रवासी

-न्यूजक्लिक, हम अपने देश के इतिहास में सबसे डरावनी घटना के गवाह बने हैं। इस डरावनी घटना को एक राज्य से दूसरे राज्यों में अपने घरों में वापस लौटते मज़दूरों के दृश्य बयां कर रहे हैं। अनुमान है कि लॉकडाउन के चलते 2,71,000 फैक्ट्रियों और साढ़े छ: से सात करोड़ लघु और सूक्ष्म धंधे रुक गए, जिसके चलते करीब़ 11 करोड़ चालीस लाख नौकरियां चली गईं। इसमें 9 करोड़ 10 लाख...

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