धूप-छांव, गरमी-बरसात का आना-जाना प्राकृतिक संतुलन के लिए जरूरी है। धरती पर जीवन के लिए ये मौसम उतने ही जरूरी हैं जितना की हमें जिंदा रहने के लिए जल और भोजन। यों तो हमारी जलवायु के हिसाब से बारह महीने में तीन मौसम-जाड़ा, गरमी और बरसात प्रमुख हैं। उनका अपना अलग रंग-ढंग है। हर मौसम की अपनी खामी और खूबी होती है। सभी मौसमों में हमें कुछ सुखद अहसास होते...
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नोटबंदी के दौर में बोलेरो शादी-- विभूति नारायण राव
पिछले चालीस दिनों में नोटबंदी ने देश की तरह मुझे भी तरह-तरह के अनुभव दिए हैं। देश दो खेमों मे बंटा दिख रहा है। एक तरफ देशभक्त हैं, जिनकी बांछें खिली हुई हैं और जो बता रहे हैं कि बस देखते रहिए, देश से काला धन, जाली नोट और आतंकवाद खत्म होने ही वाले हैं। यह अलग बात है कि समय बीतने के साथ ही उनकी मुस्कान धीरे-धीरे कमजोर पड़ती...
More »कैशेलस राज्य बनने जा रहे गोवा के लोग अब भी खुले में शौच के लिए मजबूर
पणजी। पिछले दिनों खबर आई थी कि गोवा देश का पहला कैशलेस राज्य बनने की राह पर है। लेकिन इतना बड़ा तमगा लेने की राह पर जा रहे इस राज्य के 16 प्रतिशत घरों में रहने वाले अब भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं। आलम यह है कि यहां कई जगहों पर सार्वजनिक शौचालय तक नहीं है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार 1961 में गोवा में...
More »इग्नू देश का पहला कैशलेस विश्वविद्यालय बना
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) देश का पहला कैशलेस विश्वविद्यालय बन गया है। यहां अब कोई भी लेन-देन नकद नहीं होगा। विश्वविद्यालय ने केन्द्र सरकार के कैशलेस अर्थव्यवस्था मिशन से जुड़कर ये कदम उठाए हैं। विश्वविद्यालय ने साफ किया है कि आवेदन फार्म से लेकर छात्रों की फीस तक कहीं भी कैश जमा नहीं होगा। यहां तक कि बैंक ड्राफ्ट भी नहीं लिए जाएंगे। सब कुछ ऑनलाइन ही होगा। आवेदन...
More »नोटबंदी से नायाब तरीके से निपट रहा है ये गांव
भारत में नोटबंदी के बाद से आम लोगों को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में पश्चिम बंगाल के बृंदाबनपुर गांव के लोगों ने मुश्किलों से निपटने का आसान और बेहद पुराना तरीका निकाला है. भारत की अर्थव्यवस्था में 500 और 1000 रुपए के नोट का इस्तेमाल बंद होने से पहले, ये बाज़ार में कुल मुद्रा का 86 फ़ीसदी थे. इनके बाज़ार से बाहर होने के बाद रिज़र्व बैंक...
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