गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
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जब देश डूबें तो कौन बचाए!
नई दिल्ली, अंशुमान तिवारी; वित्तीय दुनिया चाहे जितनी पेंचदार हो, मगर यह हमेशा से एक अलिखित और व्यावहारिक भरोसे पर ही चलती है। रुपये अदा करने का वचन देने वाली कागजी मुद्रा (प्रॉमिसरी नोट) से लेकर अरबों डॉलर के बाडों और शेयरों तक फैला यही भरोसा अब दरकने लगा है। बात लीमन ब्रदर्स या बेरिंग्स नाम के बैंक अथवा एनरॉन या सत्यम जैसी कंपनी से भरोसा उठने की है ही...
More »आना-जाना और खाना महंगा : आदिल हसन
रांची.महंगाई की मार से आमजन तो पहले से ही त्रस्त थे, अब केंद्र सरकार द्वारा डीजल, रसोई गैस और केरोसिन के दाम बढ़ाने से उसके माथे पर चिंता की लकीरें और बढ़ गई हैं.जल की कीमत में तीन रुपए की वृद्धि का असर दिखने लगा है। दूसरे राज्यों से पंडरा बाजार मंडी पहुंचने वाले ट्रकों का भाड़ा बढऩे वाला है। दूरी के हिसाब से ट्रक भाड़ा एक हजार से चार हजार तक...
More »केरोसिन की निगरानी: छत्तीसगढ़ चुस्त अन्य राज्य सुस्त : संतोष ठाकुर,
नई दिल्ली/रायपुर.महाराष्ट्र में एडिशनल कलेक्टर को मिट्टी तेल माफिया द्वारा जिंदा जला देने के बाद भी कई राज्य केरोसिन ट्रकों में जीपीएस सिस्टम लगाने के मामले में लापरवाह बने हुए हैं। कालाबाजारी रोकने के लिए भंडार से मिट्टी तेल के डीलर तक जाने वाले केरोसिन ट्रकों की निगरानी को लेकर छत्तीसगढ़ को छोड़कर किसी भी राज्य ने कोई कार्य नहीं किया है। छत्तीसगढ़ ने अगले माह तक सभी ट्रकों के साथ ही मिट्टी...
More »अर्थ डे आज: 2050 तक 10 में से 9 लोगों को रहना होगा भूखा
नई दिल्ली. आज अर्थ डे है। दुनियाभर में धरती को बचाने की कोशिशें हो रही हैं। 1970 में छोटे से समूह अर्थ डे नेटवर्क ने अमेरिका ने 22 अप्रैल को 'पृथ्वी दिवस घोषित किया। संयुक्त राष्ट्र ने 2009 में 22 अप्रैल को 'अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस' के रूप में मान्यता दी। धरती पर बढ़ रहे कचरे, प्रदूषण, विलुप्त होते जीव-जंतु और पेड़-पौधों पर मंडरा रहे खतरों के प्रति जागरुकता पैदा करना इसका मुख्य उद्देश्य...
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