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मध्‍यप्रदेश के इंदौर में अमीरों के 'गुलाम' बन रहे गरीब बच्चे

सुमेधा पुराणिक चौरसिया, इंदौर। अमीर परिवार के लोग अपने बच्चों की परवरिश के लिए गरीबों के बच्चों का बचपन छीन रहे हैं। इंदौर में दूसरे प्रदेशों से बच्चों को खरीदकर नौकर बनाने का चलन भी लगातार बढ़ता जा रहा है। सालभर में 10 से ज्यादा मासूम बाल श्रमिकों के मामले उजागर हुए, जिन्हें बड़े परिवारों ने घरेलू नौकर बना दिया। अब श्रम विभाग ने एनजीओ और महिला बाल विकास विभाग...

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किशोर न्याय की हो संवेदनशील परख - प्रमोद भार्गव

केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट संशोधन विधेयक के जरिए अब किशोर अपराधियों की वयस्क होने की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 16 कर दी गई है। यानी अब उन पर जघन्य अपराधों के मामले में वयस्क अपराधियों की तरह भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज होगा। लेकिन मुकदमा चलाने का अंतिम फैसला किशोर न्याय मंडल ही (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड) लेगा। हालांकि इसके...

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यूपी में नया अधिग्रहण कानून, ग्रामीण इलाकों की जमीन होगी चार गुना महंगी

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश में प्रस्‍तावित विभिन्‍न इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर परियोजनाओं में देरी को देखते हुए राज्‍य सरकार ने नए भूमि अधिग्रहण कानून को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस फैसले से सबसे अधिक फायदा किसानों को होगा। नए संशोधन के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण के लिए जमीन मालिक को सर्किल रेट से 4 गुना राशि का भुगतान किया जाएगा। वहीं शहरी क्षेत्रों में यह मुआवजा सर्किल रेट का दोगुना होगा।...

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जमीन देनेवालों को पुनर्वासन देने में जुटी राज्य सरकार

कोलकाता: वाममोरचा कार्यकाल के दौरान 2009 में सिलीगुड़ी के कावाखाली में सिलीगुड़ी जलपाइगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) ने सैटेलाइट टाउनशीप बनाने के लिए करीब 302 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया था, इसके बाद एसजेडीए ने जमीन अधिग्रहण कर बंगाल यूनिटेक यूनिवर्सल प्रोजेक्ट लिमिटेड को यहां आवासीय योजना के लिए यह जमीन दे दी थी, लेकिन जमीन अधिग्रहण के बाद से कंपनी ने यहां योजना पर कुछ नहीं किया है. अब तृणमूल कांग्रेस की...

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गांवों के विकास में उद्योगों की साझेदारी -डॉ. अनिल प्रकाश जोशी

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब यूरोप की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई, उस समय उद्योगों को मूलमंत्र मानकर विकास की रूपरेखा तैयार की गई। इसी समय दो बड़े परिवर्तन भी हुए। पहला, विकास की परिभाषा इस तरह गढ़ दी गई, जिसका सीधा-सीधा मतलब था कि उद्योग और उससे जुड़े तमाम आयामों को ही विकास मान लिया जाए। दूसरा, इसके बाद ही भोगवादी सभ्यता का चलन बढ़ा। अपने देश ने भी स्वतंत्रता के बाद...

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