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मातृ मृत्यु को कम करने का लक्ष्य अभी दूर है

 भारत में मातृ मृत्यु को कम करने का लक्ष्य अब भी बहुत दूर है। उच्च मातृ मृत्यु अनुपात महिलाओं की खराब प्रसव स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा समाज में उनकी भयावह स्थिति को भी दर्शाता है। सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के ताजा जारी आंकडे बताते हैं कि मातृ मृत्यु अनुपात में तेजी से गिरावट आई है। मातृ मृत्यु अनुपात जहां साल 1997-98 में 398.0 था, वहीं वर्ष 2015-17 में ये आंकड़ा 122.0...

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क्या अब जीएसटी केंद्र और राज्यों में झगड़े के साथ-साथ महंगाई बढ़ने की वजह भी बनने जा रहा है?

राजनीतिक खबरें अक्सर आर्थिक खबरों को ढक लेती हैं, लेकिन फिर भी आर्थिक मसले अपनी जगह पर बने तो रहते ही हैं. चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 फीसद पर पहुंचने के साथ कुछ और भी ऐसी खबरें आईं जो आर्थिक मंदी के इस दौर में चिंता बढ़ाने वाली हैं. राज्यों से आई ये खबरें भारत के सबसे बड़े आर्थिक सुधार कहे गए जीएसटी को...

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वित्त क्षेत्र को छोड़कर ज्यादातर भारतीय कंपनियों के लिये 2020 में बनी रहेगी चुनौतियां : मूडीज़

नई दिल्ली: मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने बृहस्पतिवार को कहा कि कमजोर आर्थिक वृद्धि, सुस्त पड़ती कमाई से वर्ष 2020 में वित्तीय क्षेत्र को छोड़ दूसरे क्षेत्रों की ज्यादातर भारतीय कंपनियों की साख परिस्थितियां कमजोर बनी रहेगी. मूडीज़ इनवेस्टर्स सर्विस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ साख अधिकारी कोस्तुभ चौबाल ने कहा, ‘प्रमुख कंपनियों के क्रेडिट परिवेश में 2020- 21 के दौरान ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं लगती है. ऊंचा ऋृण स्तर, कमजोर मुनाफा...

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अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने से पहले मोदी सरकार हमें यह सच बताए कि इसमें गड़बड़ क्या है

भारतीय अर्थव्यवस्था एक ऐसे दौर से गुजर रही है जिसमें किसी अच्छी खबर को ढूंढ पाना मुश्किल हो गया है. आर्थिक वृद्धि सुस्त हो गई है. निर्यात निरंतर घटता जा रहा है. खुदरे की महंगाई बढ़ती जा रही है. रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं. बैंक क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट है. बिजली की खपत घट रही है. कर राजस्व काफी धीमी गति से बढ़ रहा है, बजट में लगाए...

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नोबेल, गरीबी और आंबेडकर -- श्योराज सिंह बेचैन

भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, फ्रांस मूल की उनकी शोध छात्रा रही पत्नी एस्टर डफ्लो और अमेरिकी अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर, तीनों को संयुक्त रूप से नोबेल सम्मान मिलने के बाद से खासकर भारत की गरीबी को लेकर बहस छिड़ गई है। वह इसलिए भी कि जिस देश का एक पांव तरक्की के चांद पर पहुंचने को आतुर हो, उसका दूसरा पांव गरीबी की दलदल में गहरे फंसा हो, तो उसके...

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