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आत्मनिर्भर खेती की ओर - बाबा मायाराम

“पहले मैं रासायनिक खेती करता था, लेकिन इससे धीरे-धीरे मेरे खेत की मिट्टी जवाब देने लगी, उत्पादन कम होने लगा। इसके बाद मैंने जैविक खेती शुरू की। जैविक खाद व जैव कीटनाशक बनाना सीखा। खेती में अच्छा उत्पादन लिया, मिट्टी में सुधार हुआ। अब मैं दूसरों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण देता हूं।” यह ओडिशा के सुदाम साहू थे, जो बरगढ़ जिले के कांटापाली गांव में रहते...

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कोरोना काल में भारी मानसिक दबाव में रहे 20 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ता

-डाउन टू अर्थ, कोरोना महामारी से लड़ते वक्त दुनिया भर के 20 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ता भारी मानसिक दबाव में थे। यह जानकारी एक अंतराष्ट्रीय अध्ययन में सामने आई है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण है यह बात हर किसी को पता है। जिस बहादुरी के साथ उन्होंने इस महामारी के समय लोगों की मदद की है वो स्पष्ट करता है कि उन्हें कोरोना वारियर ऐसे ही नहीं कहा जाता।...

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कोविड-19 : क्या टीकाकरण पूर्व स्क्रीनिंग कोमोरबिडिटी या अन्य बीमारी का पता लगाने के लिए पर्याप्त है?

-कारवां, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल में 52 वर्षीय वार्ड परिचारक महिपाल सिंह का 17 जनवरी को निधन हो गया. भारत के टीकाकरण अभियान के पहले दिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड का इंजेक्शन लगाने के एक दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई. इंजेक्शन लगने के कुछ समय बाद महिपाल ने अपने बेटे विशाल को अस्पताल से घर ले चलने को कहा था....

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Covid-19 टीके के लिए डॉक्टर का प्रेस्क्रिप्शन होगा काफी, PM-JAY से नहीं कवर होगी टीके की कीमत

-द प्रिंट, 1 मार्च से देश में 60 साल से ऊपर के सभी और 45 साल से ऊपर के उन लोगों को जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है, उनके लिए कोविड-19 का टीकाकरण शुरू किया जाएगा. दिप्रिंट के मुताबिक 45 साल से ऊपर के उन सभी लोगों को जिन्हें कोई भी रजिस्टर्ड डॉक्टर लिख के दे देगा कि उन्हें गंभीर बीमारी है वे टीकाकरण करा सकेंगे. 1 मार्च से हर व्यक्ति अपने परिवार...

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दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं ये खतरनाक तत्व

डाउन टू अर्थ, पोटेशियम, सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, क्लोरीन और कैल्शियम जैसे तत्व दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं। यह जानकारी हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के ग्लोबल सेंटर फॉर क्लीन एयर रिसर्च (जीसीएआरई) द्वारा किए शोध में सामने आई है। जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली के सहयोग से किया गया है। दिल्ली की हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों की उपस्थिति और...

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