SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 7339

जब औरतों के निशाने पर गांधीजी आए -- रामचंद्र गुहा

अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम के अभिलेखागार में काम करते हुए गांधीजी को लिखा गया एक दिलचस्प पत्र मेरे हाथ लगा। यह पत्र 11 युवा महिलाओं ने लिखा था, जो कलकत्ता (अब कोलकाता) की थीं। उस चिट्ठी पर कोई तिथि नहीं लिखी थी, मगर ऐसा लग रहा था कि वह जनवरी, 1939 में लिखी गई थी। चिट्ठी ‘परमपूज्य महात्मा जी' को संबोधित थी, जिस पर सभी महिलाओं ने अपने अलग-अलग हस्ताक्षर...

More »

बजट 2016-17 : बजट से उम्मीदें कुछ ठोस सी

नोटबंदी के बाद यह सबसे बड़ा आर्थिक अनुष्ठान है. इससे जनता को बहुत उम्मीदें हैं. उम्मीदें इसलिए हैं कि नोटबंदी के बाद जनता काफी परेशानी से गुजरी है. यह ठीक है कि नोटबंदी,नकद-न्यूनतम अर्थव्यवस्था भविष्य में अर्थव्यवस्था का भला करेगी, पर फौरी तौर पर तो उसने आम जनता यानी रोज कमाने-खानेवाले लोगों को परेशान ही किया है. इसका असर भी दिखाई पड़ा है. तमाम संगठनों ने 2016-17 के आर्थिक विकास...

More »

राजतंत्र से जनतंत्र तक-- संदीप मानुधने

जब अंगरेज भारत छोड़ कर गये, उन्होंने वे सभी प्रयास प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से किये, जिससे उपमहाद्वीप में सदा के लिए दरारें पड़ी रहें. अंगरेजों की दिली तमन्ना थी कि भारत टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा, क्योंकि इसे एक करनेवाला कोई है ही नहीं. लेकिन, उनके मंसूबों पर भारत के नेताओं ने पानी फेर दिया. सरदार पटेल ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया, पंडित नेहरू ने एक लोकतांत्रिक...

More »

नोटबंदी के एक माह बाद जनधन खातों से निकाले गए 5000 करोड़

जनधन खातों से नोटबंदी के करीब एक माह बाद 7 दिसंबर से 11 जनवरी के बीच 5,582.83 करोड़ रुपये की निकासी हुई है। जनधन खातों में कुल जमा 7 दिसंबर को 74,610 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। बाद में इसमें गिरावट आनी शुरू हो गई। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 11 जनवरी को यह घटकर 69,027.17 करोड़ रुपये पर आ गई। 7 दिसंबर से 11 जनवरी...

More »

गांधी के सपनों का स्वराज-- श्री भगवान सिंह

वैसे महात्मा गांधी ‘स्वराज' या ‘स्वराज्य' संबंधी अपनी अवधारणा को जीवनपर्यन्त परिभाषित करते रहे, लेकिन जहां तक मैं समझ सका हूं, हिंदुस्तान के संदर्भ में उन्होंने जिस स्वराज की परिकल्पना की थी, उसके केंद्र में थी गांवों की स्वायत्त, स्वावलंबी अर्थ एवं प्रबंधन सत्ता। उनकी दृष्टि में गांवों की संपन्नता में ही देश की संपन्नता तथा गांवों की स्वायत्त पंचायती व्यवस्था में ही देश की सच्ची प्रजातांत्रिक छवि अभिव्यक्ति पा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close