भोपाल। गर्मी के आते ही शहर में पानी की किल्लत शुरू हो गई है और नगर निगम मुख्यालय में अधिकारी अभी जल संकट से निपटने की योजना भी नहीं बना पाए हैं। करोद जैसी घनी आबादी में पानी की खरीदी बिक्री का खेल शुरू हो गया है। शहर में बढ़ते नलकूपों के खनन ने भूजल स्तर को ऐसा ग्रहण लगाया है कि कई बस्तियों में पानी के लिए हाहाकार की स्थिति बन रही है। जानकारी...
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सरकारी कागजों में स्लम का अकाल
अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
More »तो अब नहीं मिलेगी तारीख पर तारीख
तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख। जज साहब, यहां न्याय नहीं मिलता, मिलती है तो सिर्फ तारीख। जीं हां, फिल्म दामिनी में बोला गया यह डायलाग लोगों को इस कदर याद हो गया है कि जब भी किसी केस के जजमेंट में देरी की बात आती है तो आदमी यही लाइन्स दोहराता है। पर अब एक राहत की बात यह है कि अगर सब कुछ सही रहा तो लोगों को कोर्ट से तारीख पर तरीख...
More »कामयाबियों का किर्तीमान बना रही नारियां
सीतामढ़ी। मां जानकी की जन्म भूमि अब नारी शक्ति की धरती बन गयी है। चाहे शिक्षा हो या राजनीति, समाज सेवा, लेखन, कला, खेल या जांबाजी। हर क्षेत्र में सीतामढ़ी की महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का जलवा दिखाया है। कामयाबी का यह सफर सिर्फ जिला, प्रदेश व देश स्तर पर ही नही, बल्कि विदेश में भी कामयाबी का परचम लहरा कर महिला सशक्तिकरण का परिचय दिया है। देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने...
More »महिला जनप्रतिनिधियों का काम संभालते हैं उनके पति
ग्रेटर नोएडा। देश भले ही नारी सशक्तिकरण की बात कर रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के गृह जनपद में जनप्रतिनिधियों के रूप में चुनकर आई महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है। गाव वालों ने महिलाओं को प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य व नगर पंचायत के अध्यक्ष के रूप में चुनकर प्रतिनिधि बना तो लिया, लेकिन ये महिलाएं घर व पर्दे से बाहर नहीं निकल सकीं। कोई इनसे बात करना चाहे तो पति...
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