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मुनाफे के मंसूबे में चौथी हरित क्रांति की भ्रांति

दैनिक ट्रिब्यून, 29 नवम्बर वह सब जो हाल में पढ़ा, अगर सच है तो चौथी हरित क्रांति मौजूदा कृषि व्यवस्था का हुलिया बदल देगी। परिष्कृत कृषि तकनीकें, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सहित रोबोटिक्स, डिजिटल तकनीक और सिंथेटिक भोजन इत्यादि है, आखिरकार भोजन प्रणाली के केंद्रीयकरण एवं नियंत्रण बनाने की ओर ले जाती हैं। फायदेमंद पहलू से, ये संभावनाएं शुरुआत में उत्साहित करती हैं, पर नुकसान के नजरिए से, ऐसे हालात बनेंगे कि...

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जीएम सरसों से तिलहन में आत्मनिर्भरता की दरकार

गाँव कनेक्शन, 3 नवम्बर देश में तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए अब जीएम सरसों की खेती होगी। भारत की जेनेटिक इंजीनियरिंग ऑपरेशन कमेटी (जीईएसी) ने जेनेटिकली मॉडिफायड (जीएम) सरसों की नई किस्म डीएमएच 11 को क्षेत्र परीक्षण के लिए जारी कर दिया गया है। पिछले अनुभवों के आधार पर देखा जाये तो भारत में अब तक जीएम फसल के रूप में सिर्फ बीटी कॉटन को ही अनुमति दी...

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'अनिश्चित न्याय:उत्तर पूर्व दिल्ली में 2020 में हुई हिंसा पर एक नागरिक समिति की रिपोर्ट'; कौंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप ने की जारी

16 अक्टूबर, कौंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप प्रेस विज्ञप्ति प्रिय मीडियाकर्मी, कौंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप अखिल भारतीय और केंद्रीय सेवाओं के भूतपूर्व सिविल सेवकों का समूह है। हमने केंद्रीय और विभिन्न राज्य सरकारों में काम किया है। हम एक ऐसी नागरिक संस्कृति के संवर्धन के लिए प्रयत्नशील हैं, जो भारतीय संविधान में निहित आचार के दायरे में रहे। सामूहिक रूप से हम  किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं हैं, क्योंकि हम तटस्थता में दृढ़ विश्वास रखते हैं। उत्तर पूर्व...

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रागी, कोदो जैसे मोटे अनाज की खेती को बचाने की पहल, जिससे किसानों को मिले उनकी उपज का सही दाम

गाँव कनेक्शन, 7 सितम्बर  रागी, बाजरा जैसे मोटे अनाज की खेती के बाद प्रोसेसिंग के पुराने और परंपरागत तरीकों से न ही सही से अनाज निकल पाता है और न ही बाजार में उसका सही दाम मिल पाता है। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र, उन किसानों और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए मददगार साबित हुआ है जो मोटे अनाज की खेती करते हैं। भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान के निदेशक...

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80% मिडिल और सेकेंडरी छात्रों को सता रहा परीक्षा का डर, 45% के लिए बॉडी इमेज एक बड़ी चिंता- NCERT सर्वे

दिप्रिंट, 7 सितम्बर भारत में मिडिल और सेकेंडरी स्कूल स्तर पर 80 प्रतिशत से अधिक स्कूली छात्रों के लिए इम्तिहान और उनके नतीजे चिंता का कारण बनते हैं- ये ख़ुलासा राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) की ओर से कराए गए, अपनी तरह के पहले मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में हुआ है. सर्वे में ये भी पता चला है कि इन स्तरों पर 45 प्रतिशत छात्रों के लिए उनकी बॉडी इमेज...

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