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अनसुनी रह जाती है जिनकी आवाज-- बद्रीनारायण

जनतंत्र में कुछ आवाजें हैं, जो ज्यादा सुनाई देती हैं। महानगर और शहर के बड़े तबके की आवाज तो जनतांत्रिक विमर्श में सुनी ही जाती है, कस्बों, राजमार्गों और मुख्य सड़कों के किनारे के गांवों की आवाज भी कई बार इसमें दर्ज हो जाती है। लेकिन जो अंतरे-कोने में पडे़ हैं, जो नदियों के किनारे के गांव हैं, जो दियारे में बसे गांव हैं, जो पहाड़ों की तलहटियों में और...

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10 फीसदी आरक्षण: तेजी से घट रही है सरकारी विभाग, बैंकों में नौकरियां

नई दिल्ली: रोजगार की संभावनाओं के संदर्भ में सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के लाभार्थियों को केंद्र सरकार में घटती नौकरियों की समस्या का समाना करना पड़ सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई), यहां तक कि बैंक में भी लगातार नौकरियां कम हो रही हैं. कार्मिक...

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आदिवासी अधिकार के नाम पर- शशिशेखर

जिस समय कश्मीर का अलगाववाद पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है, ठीक उसी समय झारखंड के कुरूंगा गांव में एक दूसरा दृश्य दिख रहा है। वहां एक शिलालेख पर लिखा है-   ‘भारत में गैर आदिवासी दिकु, विदेशी केंद्र सरकार को शासन चलाने और रहने का लीज एग्रीमेंट 1969 ई. में ही समाप्त हो गया है।' ‘वोटर कार्ड (मतदान पहचान पत्र) और आधार कार्ड (आम आदमी का अधिकार कार्ड) आदिवासी...

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अधिकारों से बेदखल आदिवासी-- मोहन गुरुस्वामी

तेलंगाना स्थित पूर्ववर्ती आदिलाबाद जिले के निवासी गोंड एवं अन्य आदिवासियों के प्रतिनिधि संगठन तथा तेलंगाना सरकार के बीच चल रही बातचीत इस सप्ताह विफल हो जाने के बाद आदिवासी नेताओं ने घोषणा कर दी कि अब वे अपने गांवों में ‘स्वशासन' कायम करने की अपनी पूर्व घोषणा पर अमल करेंगे. ऐसा कर वे झारखंड के आदिवासियों द्वारा पहले से ही चलाये जा रहे ऐसे अभियान का ही अनुसरण कर...

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कोर्ट ही कोर्ट को बचा सकता है-- प्रो. फैजान मुस्तफा

भारत के विधि आयोग की 195वीं रिपोर्ट के आधार पर प्रस्तावित 'जजेज (इन्क्वाॅयरी) बिल, 2006' का उद्देश्य एक ऐसे न्यायिक मंच की स्थापना करना था, जो जजों के विरुद्ध शिकायतों से निबट सके. चार वरिष्ठ जजों का इसका सदस्य होना था. इसके अंतर्गत यह प्रावधान किया गया था कि जिस मामले में महाभियोग की जरूरत न हो, उसमें चेतावनी, परामर्श, फटकार, न्यायिक कार्यों से अलगाव या निजी या सार्वजनिक...

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