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ग्राउंड रिपोर्ट: ‘लॉकडाउन ने हमें बर्बाद कर दिया, स्थिति नहीं बदली तो आत्महत्या करनी पड़ेगी’

-न्यूजलॉन्ड्री, ‘‘10 दिन हो गए हैं काम नहीं मिला. आज भी सुबह सात बजे यहां आ गया था, लेकिन अब दस बज गए. एक-दो घंटे और इंतज़ार करेंगे फिर कमरे पर चले जाएंगे.’’ यह कहना है पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के रहने वाले 22 वर्षीय सुखसागर मंडल का. लॉकडाउन लगने के बाद मंडल आठ दिन पैदल चलकर अपने घर पहुंचे थे. इनसे हमारी मुलाकात नोएडा के हरौला मार्केट स्थित लेबर...

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सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश

-जनपथ, OPEN SPACE सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश March 3, 2021 - by चौधरी सवित मलिक - Leave a Comment             तीन महीने हो चुके हैं दिल्ली के चारों तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। 250 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। आखिर सरकार...

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‘चीन का हाथ’, SYL प्रदर्शन- किसान आंदोलन पर हरियाणा के कृषि मंत्री के बोल खट्टर के लिए बने सिरदर्द

-द प्रिंट, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किसानों का आंदोलन राज्यभर में फैलने के कारण तो दबाव झेलना ही पड़ रहा है, उन्हें एक और मोर्चे पर भी जूझना पड़ रहा है—यह हैं उनके कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल जो लगातार शर्मिंदगी का सबब बन रहे हैं. सितंबर में किसानों के सड़कों पर उतरने के बाद से उनके आंदोलन को पटरी से उतारने की कोशिश में जुटे दलाल कुछ न कुछ...

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क्या हत्या, आत्महत्या और बलात्कार के मामलों में अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघ रहा है मीडिया

-द प्रिंट, क्या वास्तव में आत्महत्या और हत्या की घटनाओं में मीडिया, विशेषकर इलेक्ट्रानिक मीडिया, समानांतर जांच शुरू करके आपराधिक मामलों में पुलिस की जांच में हस्तक्षेप पैदा करने लगा है? क्या समानांतर जांच करके मीडिया अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघ रहा है? बालीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में चुनिन्दा चैनलों की भूमिका के परिप्रेक्ष्य में बंबई उच्च न्यायालय की व्यवस्था से यही निष्कर्ष निकलता है कि हमारे इलेक्ट्रानिक...

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बाजार भरोसे खेती को छोड़ने के जोखिम

-दैनिक भास्कर, हम सबको चॉकलेट खाना पसंद है लेकिन अगली बार जब आप चॉकलेट का ग्रास लें तो यह याद करिएगा कि कोको की खेती करने वाले एक किसान की औसत दिहाड़ी उस मूल्य से भी कम है जो आपके हाथ में मध्यम आकार की चॉकलेट बार की होती है। पश्चिमी अफ्रीका के कोको किसान की दैनिक आय महज 100 रुपये (1.3 डॉलर) बैठती है! दुनिया में इस समय में जो 210...

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