देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करनेवालों के बारे में योजना आयोग द्वारा जारी आंकड़ों की कोई और उपयोगिता हो न हो, यह बदहाली के स्वीकार्य मापदंड नहीं हो सकते. जिस देश में करीब 46 फीसदी बच्चे कुपोषण से प्रभावित हों, जहां करीब 40 प्रतिशत परिवार पूर्णत: भूमिहीन या एक एकड़ से कम जमीन के मालिक हों, जहां 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का गुजारा असंगठित क्षेत्र में...
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पहाड़ की बेटियां लिख रहीं उच्च शिक्षा की इबारत
मेगास्थनिज ने अपने यात्रा विवरण में ईसा से 300 साल पूर्व संताल परगना के पहाड़ों और जंगलों में निवास करने वाली जिस जनजाति की चरचा की थी, वह है पहाड़िया आदिम जनजाति. सदियों शोषण, कुपोषण, अशिक्षा और अभाव में रहा यह समाज तेजी से बदल रहा है. इस बदलाव में इस समाज के बेटियां भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं. अब पहाड़ों और जंगलों में लकड़ी कटने या कंदमूल उखाड़ने तक...
More »बदनाम बैतूल- शिरीष खरे
मध्य प्रदेश का बैतूल जिला बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मामले में देश भर में शीर्ष पर है. कोई इसकी वजह गरीबी से जोड़ता है, कोई सरकारी संवेदनहीनता से, कोई नई-नई आई जागरूकता से और कोई तो लालच से भी. शिरीष खरे की रिपोर्ट. महिलाओं की सुरक्षा के मामले में देश की राजधानी दिल्ली हमेशा ही चर्चा के केंद्र में रही है. लेकिन दिल्ली से ठीक एक हजार किलोमीटर दूर एक जगह...
More »पीड़ा में पहाड़िया- निराला की रिपोर्ट
झारखंड से लेकर बिहार, मध्य प्रदेश और उड़ीसा तक फैले पहाड़िया समुदाय के लिए जिंदगी उतनी ही दुश्वार है जितनी सदियों पहले थी. धरती के सबसे पुराने बाशिंदे कहे जाने वाले इन लोगों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं. निराला की रिपोर्ट. हम झारखंड के सुंदरपहाड़ी इलाके के पहाड़ों पर हैं. चेबो नाम के एक गांव में, जिस तक उजले भारत की कोई चमक अब तक नहीं पहुंची है, हां, शोषण जरूर उन...
More »झारखंड में आज भी सपना है बेहतर इलाज
रांची से 32 किमी दूर रांची-पुरुलिया रोड से एक किमी बायें हटकर पहाड़ी की तलहटी में बसा चमघटी पाहनटोली गांव अपनी खूबसूरत भौगोलिक स्थिति व भरपूर हरियाली के कारण लोगों का मन मोह लेता है. पर इस गांव के लोगों की बदहाल जिंदगी व उनका दुख दिल को झकझोर देता है. 31 अगस्त को रांची के अनगड़ा प्रखंड के इस गांव की बीमार आदिवासी महिला लीलावती देवी की मिरगी या...
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