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फैक्ट चैक : कोरोनावायरस लॉकडाउन में मोदी सरकार के दस बड़े झूठ

-कारवां, 24 मार्च को जब केंद्र सरकार ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की तो सरकार के प्रतिनिधियों और मंत्रियों ने अपनी राजनीति को सही ठहराने और आलोचना से पल्ला छुड़ाने के लिए जनता के बीच लगातार आधी-अधूरी और झूठी बातें प्रचारित की. अधिकारियों ने जो दावे किए उनमें से कई जमीनी रिपोर्टों से मेल नहीं खाते. देश के कई हिस्सों में भूख और भुखमरी...

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आयुष मंत्रालय की ड्रग निर्माताओं को चेतावनी-उत्पाद बेंचने के लिए झूठे दावों का न लें सहारा, दर्ज होगी एफआईआर

-द प्रिंट,  दिप्रिंट को पता चला है कि आयुष मंत्रालय ने, वैकल्पिक दवाओं के निर्माताओं को चेतावनी दी है, कि उपभोक्ताओं को गुमराह करने के लिए, अपने उत्पाद को कोविड-19 का ‘इलाज या रोकथाम’ बताकर प्रचारित न करे. मंत्रालय का ये क़दम उसके बाद आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, वैकल्पिक दवाओं के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया था. दो जून को लिखे पत्र में मंत्रालय...

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आयुष्मान भारत स्कीम पर पीएम मोदी के दावे का पूरा सच

-बीबीसी,  आयुष्मान भारत के अब एक करोड़ लाभार्थी हो गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार सुबह बड़े ज़ोर-शोर से इसे अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया. उसके बाद से ही बधाइयों का तांता लग गया. क्या अमिताभ बच्चन, क्या अजय देवगन और क्या सरकार के मंत्री. सबने लपक कर इस ख़बर को री-ट्वीट और शेयर किया. आयुष्मान भारत देश की ही नहीं विश्व की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है- ऐसा केंद्र...

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उम्मीदें बजट 2020: कस्बों के अस्पताल दुरुस्त हो जाएं तो बड़े अस्पतालों पर कम पड़े बोझ

लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें, प्राइवेट अस्पतालों के बढ़ते खर्चे के बीच सभी की निगाहें देश के अगले बजट पर हैं। क्या प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की हालत सुधारने के लिए बजट में खास व्यवस्था होगी? देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं पर जारी होने वाली रिपोर्ट 'नेशनल हेल्थ प्रोफाइल-2018' के अनुसार देश में 37,725 सरकारी अस्पतालों में 7,39,024 बेड हैं। करीब 10 हजार लोगों पर सिर्फ एक एलोपैथि‍क...

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सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था- केसी त्यागी

मुजफ्फरपुर में ‘एक्यूट इंसेफेलाइटिस' नामक बीमारी से हुई बच्चों की मौत दर्दनाक घटना है. इसने सरकार और समाज दोनों को विचलित किया है. हालांकि, विशेषज्ञ अब तक इसे अज्ञात बीमारी बता रहे हैं, लेकिन चिकित्सकों ने भीषण गर्मी, कुपोषण और जागरूकता के अभाव आदि को इसका तात्कालिक कारण माना है. इस भीषण त्रासदी पर दलगत राजनीति भी हुई और मीडिया का बाजार भी गरमाया. मीडिया के एक वर्ग द्वारा राज्य...

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