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उम्मीदों-आशंकाओं के बीच जीएसटी-- भरत झुनझुनवाला

मोदी सरकार ने गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स लागू करके महान उपलब्धि हासिल की है। जीएसटी के अंतर्गत व्यापार कई तरह से सुलभ हो जाएगा। अब तक उद्योगों को एक्साइज डूयूटी तथा सेल टैक्स अलग-अलग अदा करना होता था तथा इनके रिटर्न अलग-अलग दाखिल करने होते थे। इन दोनों टैक्सों का विलय जीएसटी में हो गया है। उद्यमी को अब एक ही टैक्स अदा करना होगा एवं एक ही टैक्स अधिकारी...

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पनामा मामले के विभिन्न पेच- मोहन गुरुस्वामी

पनामा मध्य अमेरिका में स्थित एक टापू देश है, जो उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका को जोड़ता है. भौगोलिक रूप से उत्तर में इसका पड़ोसी कोस्टारिका है और दक्षिण में कोलंबिया स्थित है. यह एक छोटी जमीनी पट्टी है, जो प्रशांत और अटलांटिक महासागरों को अलग करता है. मानव-निर्मित 77 किलोमीटर लंबी नहर दोनों महासागरों को परस्पर जोड़ती है और इसमें बड़े जहाजों का आवागमन हो सकता है. वर्ष 1914 में शुरुआत...

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सुस्त रेंगती भारतीय ट्रेनें -- बिभाष

पहली फरवरी को वित्त मंत्री ने स्वतंत्र भारत में पहली बार रेल बजट को मुख्य बजट में शामिल करके पेश किया. रेल को बजट के भाग-क के पांचवें चैप्टर में इंन्फ्रास्ट्रक्चर शीर्ष के अंतर्गत शामिल किया गया है. बजट के इस हिस्से की शुरुआत में उन्होंने कहा कि रेल, रोड और नदियां हमारे देश की जीवन-रेखा हैं और इस संयुक्त बजट से उन्होंने आशा जगायी कि अब रेलवे, सड़क, जल...

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कभी अंधेरा, तो कभी टापू में बसर करते है खरगोन जिले में वड़ियावासी

खरगोन/भगवानपुरा। विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव/इसहाक पठान। विकसित प्रदेश का ढिंढोरा पीटने वाली सरकारें शहर से कभी ग्रामीण क्षेत्र में झांककर नहीं देख सकी। खरगोन जिले के कई पिछड़े गांवों में से एक गांव है वड़िया। भगवानपुरा जनपद अंतर्गत गोपालपुरा पंचायत का हिस्सा वड़िया आज भी पिछड़ेपन की जिंदगी जीने को बेबस है। पिछले 70 सालों में कोई 700 आवेदन दिए। नतीजा सिफर रहा।   यहां न पर्याप्त बिजली है और ना सड़क। अस्पताल...

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बहुत दुश्वारियां हैं बच्चों के स्कूल की राह में-- पंकज चतुर्वेदी

बीते कुछ साल के दौरान आम आदमी शिक्षा के प्रति जागरूक हुआ है, स्कूलों में बच्चों का पंजीकरण बढ़ा है। साथ ही स्कूल में ब्लैक बोर्ड, शौचालय, बिजली, पुस्तकालय जैसे मसलों से लोगों के सरोकार बढ़े हैं। लेकिन जो सबसे गंभीर मसला है कि बच्चे स्कूल तक सुरक्षित कैसे पहुंचें, इस पर न तो सरकारी और न ही सामाजिक स्तर पर कोई विचार हो रहा है। आए दिन देश भर...

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