राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ खिलवाड़ अक्षम्य अपराध है. देश के साथ द्रोह भी. मामला चाहे अशोक स्तंभ का हो या मुंबई में ‘अमर जवान ज्योति’ तोड़ने का. इस कसौटी पर काटरूनिस्ट असीम त्रिवेदी भी गलत हैं. पर आज सार्वजनिक रूप से यह कहना कि ‘सत्यमेव जयते’ की जगह ‘भ्रष्टमेव जयते’ के युग में देश है, कहां का अपराध है? या राष्ट्रदोह है? यह तो मौजूदा हालत का नग्न सच है. देश की कुल...
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भ्रष्टाचार की गंगा का मुहाना बंद करना होगा- पी साईनाथ (अनुवाद मनीष शांडिल्य)
मनमोहनॉमिक्स के करीब 20 साल पूरे हो रहे हैं, अतः उस कोरस को याद करना बहुत वाजिब होगा, जिसका राग मुखर वर्ग पहले तो खूब गर्व से और फिर खुद को दिलासा देने के लिए अलापता रहा हैः 'आप चाहे जो भी कहें, हमारे पास डॉ मनमोहन सिंह के रूप में सबसे ईमानदार आदमी हैं. उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला जा सकता'. लेकिन ऐसा अब कम सुनने को...
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