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क्या उबर पाएगा हिंदुस्तान?

-इंडिया टूडे, अर्थव्यवस्था: विशेषज्ञों की राय पहले से ही संकटों में घिरी भारत की अर्थव्यवस्था को कोविड ने जोरदार झटका दिया है और देश के सामने एक बड़ी मंदी मुंह बाए खड़ी है. इंडिया टुडे के अर्थशास्त्रियों का बोर्ड (बीआइटीई) इस बात का अंदाजा लगा रहा है कि यह कितने दिनों तक चलने वाला है और इस बीमार अर्थव्यवस्था को चंगा करने के लिए उनकी क्या सलाह है   मैत्रीश घटक, प्रोफेसर, लंदन स्कूल...

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कोरोनावायरस से निपटने के लिए देश में नई राष्ट्रीय योजना की जरुरत नहीं: सुप्रीम कोर्ट

-डाउन टू अर्थ, सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त, 2020 को दिए अपने आदेश में साफ कर दिया है कि देश में कोरोनावायरस से निपटने के लिए अलग से नई राष्ट्रीय नीति बनाने की जरुरत नहीं है। कोर्ट इस मामले में सरकार को नई राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना बनाने और उसे लागु करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत पहले ही...

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आंकड़े बताते हैं, लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए आयुष्मान भारत योजना ‘वरदान’ साबित नहींं हुई

-द प्रिंट, प्रधानमंत्री की जन आरोग्य योजना (पीएम-जय), प्रधानमंत्री मोदी की स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत के अंतर्गत आनेवाली की तीसरी फ्लैगशिप योजना है. जिसे यह बताया जा रहा है कि यह कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए वरदान साबित हुई है. हालांकि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, इस योजना का प्रबंधन करने वाली एजेंसी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस योजना का प्रवासी मजदूर समूह को सरकार के...

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क्या मनरेगा के लिए आंवटित अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए मददगार साबित होगा ?

साल 2020 की शुरुआत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और संबंधित अर्थशास्त्रियों ने साल 2020-21 के लिए गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की. लेकिन 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा के तहत केवल Rs.61,500 करोड़ आवंटित किए. जोकि 2019-20 में मनरेगा पर खर्च किए गए फंड की तुलना...

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बिना परमिशन के चल रहे हैं देश में 1.6 लाख हेल्थ केयर सेंटर: सीपीसीबी

-डाउन टू अर्थ,  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 जुलाई, 2020 को दिए अपने आदेश में साफ कर दिया है कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न हो रहे बायो-मेडिकल वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से निपटान करना जरुरी है| इसके साथ ही इसे आम कचरे से भी अलग करना जरुरी है| एनजीटी के अनुसार यह ने केवल बायो मेडिकल वेस्ट के उपचार और निपटान सुविधा (सीबीडब्ल्यूएफएफ) पर पड़ रहे दबाव को कम करने...

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