-डाउन टू अर्थ, लॉकडाउन के बाद देश के पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और गुजरात में भी वायु गुणवत्ता की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। यह जानकारी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा पश्चिमी राज्यों के लिए क्षेत्रीय स्तर पर वायु गुणवत्ता के किए विश्लेषण में सामने आई है। देखा जाए तो सर्दियों के दौरान देश के उत्तरी हिस्से में दिन और रातें कोहरे से ढक जाती है, जबकि इसके विपरीत देश...
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किसानों से बाजरा खरीदने के महीने भर बाद ‘खराब’ बता वापस कर रही मध्य प्रदेश सरकार
- न्यूजलॉन्ड्री, मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में विजयपुर ब्लॉक के आरौदा गांव निवासी 52 वर्षीय लक्ष्मीनारायण शर्मा 15 बीघा के किसान हैं. उन्होंने 21-22 दिसंबर 2021 को सरकार को 19 क्विंटल बाजरा बेचा था. यह खरीद सरकारी दर यानी 2,250 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर हुई थी. शर्मा इंतजार कर रहे थे कि हमेशा की तरह ही सरकार, उनकी फसल की कीमत खरीद के चार से पांच दिन बाद...
More »गांव में अपराध: क्या सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से फर्क पड़ता है?
-गांव सवेरा, ग्रामीण भारत में गरीबी के उन्मूलन और आर्थिक विकास हेतु अच्छी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच होना महत्वपूर्ण है। यह लेख, भारत मानव विकास सर्वेक्षण (आईएचडीएस) के 2004-05 और 2011-12 के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए दर्शाता है कि पक्की सड़कों से जुड़े गांवों के परिवारों में अपराध, श्रम बल की भागीदारी और पारिवारिक आय के सन्दर्भ में उन गांवों में रहने वालों की तुलना में बेहतर परिणाम पाए गए...
More »सर्दियों में कोहरा और वायु प्रदूषण: केवल दिल्ली-एनसीआर की समस्या नहीं रहा: सीएसई
-डाउन टू अर्थ, ठंड के समय में धुंध (कोहरा) के साथ में गंभीर वायु प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसे आमतौर पर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से जोड़ कर देखा जाता है लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के एक नवीनतम विश्लेषण में पाया गया है कि जब सर्दियों के दौरान प्रदूषण बढ़ता है तो यह पूरे उत्तर भारत में धुंध छाने जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। इस संबंध में सीएसई की...
More »यूपी चुनाव: बुंदेलखंड से पलायन जारी, सरकारी नौकरियों का वादा अधूरा
-न्यूजक्लिक, शनिवार की दोपहर का वक़्त है और 23 वर्षीय राजीव पटेल उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले से चंडीगढ़ जाने के लिए रेलवे आरक्षण हासिल करने की कोशिश में व्यस्त हैं. बांदा-चित्रकूट के पाठा क्षेत्र के निवासी पटेल पिछले सात वर्षों से चंडीगढ़ और पंजाब और हरियाणा के अन्य शहरों में रसोइए के रूप में काम कर रहे हैं। उनके पास कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं है फिर भी रोज़गार की तलाश में...
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